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शनि की पकड़ से बचने का ऐसा फितूर सवार हुआ कि इंद्र एक पेड़ की कोटर में जा छुपे. लेकिन शनि तो इंद्र को खोजने निकले ही नहीं. उन्होंने इंद्र पर केवल अपनी छाया भर डाल दी थी. कुछ किए बिना ही इंद्र बेचैन रहे, खाने-पीने की सुध न रही.

रात हुई तब इंद्र कोटर से निकले. इंद्र खुश हो रहे थे कि उन्होंने शनिदेव को चकमा दे दिया. अगली सुबह उनका सामना शनिदेव से हो गया. शनि अर्थपूर्ण मुद्रा में मुस्कराए.

इंद्र बोले-कल का पूरा समय निकल गया और आप मेरा बाल भी बांका नहीं कर सके. अब तो कोई संदेह नहीं है कि मेरी शक्ति आपसे अधिक है? नारद जैसे लोगों ने बेवजह आपको सर चढ़ा रखा है.

शनि ठठाकर हँसे- मैंने कहा था कि कल आप खाना−पीना भूल जाएंगे. वही हुआ. मेरे भय से बिना खाए-पीए पेड़ की कोटर में छिपना पड़ा. यह मेरी छाया का प्रभाव था जो मैंने आप पर डाली थी. जब मेरी छाया ने ही इतना भय दिया, यदि मैं प्रत्यक्ष कुपित हो जाऊं तो क्या होगा?

इंद्र का गर्व चूर हुआ. उन्होंने क्षमा मांगी.

संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम्

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