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दैत्यराज दनु के रम्भ और करम्भ नामक दो शक्तिशाली पुत्र थे. रम्भ और करम्भ दोनों का विवाह हो चुका था लेकिन उनके कोई संतान न थी. दोनों संतानहीन थे तो वंश खत्म होने का संकट आ गया.

दोनों ने संतान प्राप्ति के लिए तप करना आरंभ किया. दोनों कठोर तप करने लगे. करम्भ जल के अंदर समाकर तप करने लगा तो रम्भ ने एक वृक्ष के नीचे अग्नि जलाई और साधना करने लगा.

इंद्र को इस तप के बारे में पता चला तो चिंतित हो गए. उन दैत्यों की तपस्या भंग करने के लिए देवराज इंद्र करम्भ के सामने प्रकट हुए. उसने उन्हें नहीं देखा तो इंद्र ने एक मगरमच्छ का रूप धरा.

मगरमच्छ रूपी इंद्र ने करम्भ के पैर पकड़ लिए औऱ दोनों में घोर युद्ध होने लगा. करम्भ हार गया और अंततः उसने हिम्मत छोड़ दी. मगरमच्छ ने उसे खा लिया. भाई की मृत्यु से रंभ दुखी था.

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2 COMMENTS

  1. Its really very nice,
    I don’t have any word.u all of u doing a great job,please continue,gods blessing with u always.

    • आपके शुभ वचनों के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार.
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