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एक बार कुमार कार्तिकेय भगवान सूर्यनारायण के दर्शन और उनसे ज्ञान प्राप्ति को गए. उन्होंने सूर्यदेव से पूछा कि तत्वज्ञान प्रदान करने में समर्थवान किसे मानना चाहिए? तभी वहां उन्होंने आश्चर्यजनक दृश्य देखा.

एक दिव्य विमान आया. भगवान सूर्य स्वयं उठकर गए और विमान से उतरे व्यक्ति का आदर सत्कार किया. उसके अंग को स्पर्शकर, मस्तक को सहलाकर पितृवत प्रेमभाव दर्शाया. प्रेम से बातें की और अपने पास में बैठाया.

थोड़ी देर में दूसरा विमान आया. उसमें से जो व्यक्ति उतरा उनका भी भगवान सूर्य ने उसी प्रकार स्वागत, स्नेह प्रदर्शन किया. कार्तिक स्वामी यह सब देखकर चकित हुए. वह अपनी जिज्ञासा को रोक न पाए.

उन्होंने सूर्यनारायण से पूछा कि विमानों से आये इन दो व्यक्तियों को आपने इतना सम्मान दिया है इसका कारण क्या है? इनके पास ऐसा कौन सा पुण्य है जो आपके इतने स्नेह के पात्र बन गये हैं?
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