हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[sc:fb]

ब्रह्मा ने इसका निदान दिया कि जब तक इंद्र पापमुक्त नहीं होते तब तक पुरुरवा पुत्र राजा नहुष इंद्र के पद पर विराजमान रहेंगे. किन्तु नहुष इंद्र की पत्नी पर आसक्त हो गए और स्वर्ग से निष्कासित हुए. (यह कथा बाद में सुनाएंगे)

शुकदेव से भागवत कथा सुन रहे परीक्षित ने पूछा- वृटासुर असुर होने के बाद भी ब्रह्मज्ञानी कैसे निकला? मुझे उसकी कथा सुनाइए. शुकदेव ने वृटासुर के पूर्वजन्म की कथा सुनाई.

सूरसेन के राजा चित्रकेतु धर्मपालक राजा थे. उनकी अनेक रानियां थीं लेकिन कोई संतान न हुई. राजा वंशहीन होने से बहुत दुखी रहते थे.

एकबार ऋषि अंगिरा नारदजी के साथ चित्रकेतु के पास आए. अंगिरा ने कहा- आपकी प्रजा सुखी है कितु आप दुखी. इस कारण प्रजापालक होने के पुण्य से आप वंचित हो रहे हैं.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here