हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[sc:fb]
धस्मर ने इंद्र की सभा में स्वामी का संदेश दिया- हे देवताधम तुमने समुद्र को क्यों मथा और मेरे पिता के सभी रत्नों को हड़प लिया. यह तूने अच्छा नहीं किया. सभी रत्नों और देवों के संग मेरी शरण में आ जा अन्यथा तेरा राज्य ध्वंस हो जाएगा.

इंद्र बहुत विस्मित हुए और कहा- पहले सागर ने मेरे भय से सब पर्वतों को अपनी कुक्षि में क्यों स्थान दिया और मेरे शत्रु दैत्यों की क्यों रक्षा की? इसी कारण मैंने उनके सारे रत्न ले लिए हैं. मुझ से द्रोह रखने वाला कभी सुखी नहीं रह सकता.

इंद्र का संदेश दूत ने जलंधर को जाकर सुना दिया. उसका क्रोध कई गुणा बढ़ गया और उसने देवताओं को जीतने का प्रण किया. देवताओं से द्रोह रखने वाले सभी बाहुबलियों को संदेश भिजवाए गए. सभी अपनी सेना लेकर जमा होने लगे. देवों-असुरों में भीषण संग्राम छिड़ा.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here