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माता की परीक्षा लेने के लिये भैरव नाथ ने उनसे कहा, सुना है सबकी इच्छा पूरी करती हो, मेरी भी इच्छा पूरी करो तो जानूं. देवी ने पूछा तुम्हारी क्या इच्छा है. यह सुन कर भैरव ने जिस नजरों से माता की और देखा उससे वह उसका कामुक मनोभाव ताड़ गयीं.

माता अभी भैरव नाथ को मुक्ति नहीं देने वाली थीं, न अपनी माया को उजागर करने वाली थीं, भैरव को महामाया के अभी और खेल देखने बाकी थे सो भैरव जब उनकी तरफ झपटा वे वहां से अंतर्धान हो जम्मू के पास ही के एक गांव में पहुंच गयीं.

गाँव में कुछ लड़कियां खेल रही थीं. माता भी कन्या बन उनके खेल में शामिल हो गईं. कुछ देर तक खेलने के बाद माता ने अपनी दिव्य शक्ति से सब लड़कियों को स्वादिष्ट भोजन खिलाया और फिर एक लड़की से पानी लाने को कहा. लड़की ने कहा मेरे पास न तो कोई बरतन है, न यहां कहीं पानी है.

माता ने उसे सोने का एक कटोरा दिया और गड्ढे की ओर दिखा कर कहा, ‘इस कटोरे में उस गड्ढे से पानी भर ला.’ माता ने बस नजर डाली, सूखा गड्ढा जल से भर गया. इस चमत्कार की बात फैली तो उस जगह का नाम ‘कौल कन्धोली’ पड़ गया. माई देवा नामक बूढी पुजारिन के वहां मां यहीं रहने लगीं.

‘कौल-कन्धोली’ में भगवती के होने की भनक पाकर भैरव नाथ अपने चेलों के साथ यहां को चल पडा. रास्ते में वह ‘हंसाली’ नामक गांव में रुका. उसको पता था कि इसी गांव में मां जगदंबा के परम भक्त श्रीधर रहते हैं. उसे तो श्रीधर को परेशान करना ही था.

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