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सोमवती स्नान का पर्व था. गंगा घाट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लग रही थी. शिव-पार्वती विचरण को निकले थे. आकाश से गुजरते समय पार्वतीजी की नजर भीड़ की ओर गई.

पार्वतीजी ने इतनी ज्यादा भीड़ का कारण शिवजी से पूछा. शिवजी ने बताया- आज सोमवती पर्व है. आज गंगा स्नान करने वाले लोग स्वर्ग जाते है. उसी लाभ के लिए स्नानार्थियों की भीड़ जमा है.

पार्वतीजी का भीड़ को लेकर कौतूहल तो शान्त हो गया पर इस उत्तर से उनके मन में नया संदेह उपज पड़ा. यदि इतने सारे लोग जो स्नान की भीड़ में हैं ये स्वर्ग चले गए तो क्या होगा?

स्वर्ग में इतना स्थान कहां है? फिर लाखों वर्षों से लाखों लाख लोग इस तरह गंगास्नान करके स्वर्ग पहुंच रहे हैं तो वे हैं कहां. स्वर्ग में उन्हें कहां स्थान मिला है. मुझे तो नहीं दिखे इतने. पार्वतीजी के मन में द्वंद्व चलता रहा.

भगवती ने अपना नया सन्देह शिवजी से प्रकट किया और समाधान चाहा. भगवान शिव बोले- हे शिवे! शरीर को गीला करना एक बात है. स्वर्गप्राप्ति के लिए तो मन की मलिनता धोने वाला स्नान जरूरी है.
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