आकाशवाणी सुनकर बर्बरीक को बड़ा पश्चाताप हुआ. वह भीम के चरणों में गिरकर माफी मांगने लगे. भीम को प्रसन्नता हुई कि उनका पौत्र इतना बलशाली है. लेकिन बर्बरीक के मन का शोक कम नहीं हो रहा था.

भीम ने कहा- श्रीकृष्ण ने हमें बताया था कि तुम इसी देवीस्थान में निवास करते हो किंतु हम यह बात भूल गए थे. मैं प्रसन्न हूं कि तुम वीर होने के साथ-साथ अत्यंत बुद्धिमान और नीतिवान भी हो.

किंतु बर्बरीक का अपने पूर्वजों को अपमानित करने का शोक समाप्त नहीं हो रहा था. प्राण त्यागने के लिए समुद्र में प्रवेश कर गए. चंडिका देवी प्रकट हुई. उन्होंने बर्बरीक को रोकते हुए कहा- स्वयं भगवान विष्णु तुमसे प्राणदान मांगकर उद्धार करने को अवतरित हुए हैं.

चंडिका देवी ने आशीर्वाद देते हुए कहा- पुत्र तुम चंडिकास्थान पर जिस कर्तव्यनिष्ठा के साथ सेवा कर रहे हो, तुम चंडील के नाम से भी प्रसिद्ध होगे और पूजनीय बनोगे.

प्रभु शरणम्

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