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कबीर जिज्ञासु को लेकर पहाड़ी से उतर आए. नीचे आकर जोर की आवाज लगाई, बाबा थोड़ा नीचे आ सकते हैं कुछ पूछना रह गया था. वृद्ध बाबा पहाड़ी से नीचे उतरकर आए.

कबीर ने कहा- आपकी आयु एक बार और पूछनी थी. बाबा ने मुस्कराकर कहा- 80 साल और वापस चले गए. जिज्ञासु तो आश्चर्य में था. वृद्ध को बेवजह पहाड़ी से उतारकर फिजूल का सवाल क्यों?

कबीरदासजी बोले- जिज्ञासु भाई, यदि संत बनना हो तो इसी तरह क्षमाशील और धैर्यवान बनना.

जीवन में यह महत्वपूर्ण नहीं कि हम क्या-क्या बनना चाहते हैं. महत्वपूर्ण यह है कि हम उसके लिए क्या-क्या त्याग करना चाहते हैं.

हम सफल लोगों की सफलता देखकर बातें करते हैं कभी ये नहीं सोचते कि उस सफलता के बीच उन्होंने कई ऐसी चीजें गंवाईं हैं जिसके बारे में कल्पना करके आपके रोएं कांप उठें.

संकलन व संपादनः राजन प्रकाश

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