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उन्होंने गणेशजी को शनि की गोद में रख दिया. शनि की दृष्टि पड़ते ही गणेशजी का सिर धड़ से अलग हो गया. हाहाकर मच गया. श्रीविष्णुदेव ने हाथी का मस्तक जोड़कर गणेशजी को फिर से जीवित किया. देवी पार्वती बालक के सिर कटने से अत्यंत क्रोधित हुईं.

उन्होंने शनिदेव को शाप दिया कि तुम्हारा अंग-भंग हो जाएगा. विष्णुदेव समेत सभी देवों ने पार्वती का विरोध किया क्योंकि शनि ने तो पार्वती को पहले ही सब बता दिया था. देवी को भूल का अहसास हुआ.

उन्होंने शनि को आशीर्वाद दिया कि तुम ग्रहों में श्रेष्ठ तो रहोगे ही, देव भी तुमसे भयभीत रहेंगे. तुम पर अब किसी अन्य शाप का प्रभाव नहीं होगा. अगर किसी पर तुम नाराज हो गए तो फिर उसका कल्याण तुम्हारे अलावा कोई दूसरा नहीं कर सकेगा.

देवी पार्वती के शाप का असर हुआ कि रावण ने मेघनाथ को सर्वशक्तिमान और दीर्घजीवी बनाने के लिए शनि समेत सभी ग्रहों को उत्तम कक्ष में स्थापित कर दिया था लेकिन मेघनाथ के जन्म के ऐन समय पर शनिदेव ने अगले कक्ष में पांव रख दिया जिससे मेघनाथ अजेय नहीं हो सका.
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