Shiv Prabhusharnam

प्रभु शरणम् को अपना सबसे उपयोगी धार्मिक एप्प मानने के लिए लाखों लोगों का हृदय से आभार- 100 THOUSAND CLUB में शामिल हुआ प्रभु शरणम्
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आपने यह कथा पहले भी कभी न कभी जरूर पढ़ी होगी लेकिन धार्मिक कथाएं सिर्फ कथाएं नहीं हैं,ज्ञान का अक्षय भंडार हैं. वृकासुर की इस कथा में कई अनमोल संदेश छिपे हैं जो शिवजी और श्रीहरि ने दिए हैं.

ये संदेश ये सीख हमारे जीवन के लिए बड़ी उपयोगी है. आप कथा पूरी पढ़ें, कथा का आनंद भी मिलता रहेगा और साथ ही शिवजी का उपदेश भी.

एक बार नारद भूमंडल में घूम रहे थे तो उन्हें वृकासुर नाम का राक्षस मिला. उसने नारद से “देवर्षि! ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कौन देवता ऐसा है, जो शीघ्र और थोड़ी ही तपस्या में प्रसन्न हो जाता है?

नारद ने सोच विचारकर कहा- वृकासुर! वैसे तो त्रिदेवों में से तुम किसी की भी तपस्या कर अपना मनोरथ पूरा कर सकते हो. ब्रह्मा और विष्णु जल्दी प्रसन्न नहीं होते. उनके लिए बहुत वर्षो तक कठिन तपस्या करनी पड़ती है. भगवान शिव थोड़ी आराधना से ही प्रसन्न हो जाते हैं.

औघड़दानी तो ऐसे हैं कि अपने भक्त की किसी भी मनोकामना की पूर्ति के लिए कुछ सोच विचार नहीं करते. भक्त जो मांगते हैं वह तत्काल दे देते हैं. तुम्हारी ही जाति के रावण तथा वाणासुर शिवजी से वरदान पाकर शक्तिशाली हुए थे.

वृकासुर ने भगवान शंकर की आराधना करने का निश्चय किया और हिमालय के केदार क्षेत्र में तप करने लगा. कुछ दिनों के बाद उसने शरीर को ही भगवान शिव को अर्पित करना शुरू किया. वह अपने शरीर का मांस काट-काटकर यज्ञकुंड में डालने लगा.

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