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देवी रुद्राक्षके चौदह भेद हैं.

एकमुख रूद्राक्ष को साक्षात शिव का रूप समझना चाहिए. उसके तो दर्शन होने से ही दुरितों का नाश होता है.

द्विमुखी रूद्राक्ष का नाम देवदेवेश है, जिसके दर्शन से सभी साधन सुलभ हो जाते हैं.

चतुर्मुखी रूद्राक्ष को ब्रह्माजी का प्रतीक समझना चाहिए जिसके दर्शन से चौतरफा फल की प्राप्ति होती है.

पंचमुखी रूद्राक्ष का नाम कालाग्नि है जो पंचानन शिव का प्रतीक है.

षड्मुखी रूद्राक्ष कार्तिकेयजी का प्रतीक है और इसे दाहिनी भुजा में धारण करना चाहिए.

सप्तमुखी रूद्राक्ष का नाम अनंगी है और यह कामदाहक शिव का प्रतीक है.

अष्टमुखी रुद्राक्ष का नाम वसुमूर्ति है और यह भैरवजी का प्रतीक है.

नवमुखी रूद्राक्ष कपिलमुनि का प्रतीक है.

दसमुखी रूद्राक्ष स्वयं भगवान नारायण का प्रतीक है.

एकादश मुखी रुद्राक्ष भगवान रूद्र का प्रतीक है.

द्वादशमुखी यानी बारह मुख वाला रूद्राक्ष भगवान सूर्य का प्रतीक है.

त्रयोदशमुखी यानी 13 मुख वाला रूद्राक्ष विश्वेदेव का प्रतीक है.

चतुर्दशमुखी यानी चौदह मुखी रूद्राक्ष परमशिव का प्रतीक है.

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