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मकर संक्रांति की सुबह कैसे हो शुरुआतः

सुबह उठकर देवताओं का स्मरण करने के बाद दैनिक कार्यों से निपटकर स्नान करें.

एक तांबे के लोटे या स्टील के लोटे में जल लें. यदि गंगा जल है तो उसमें थोड़ा सा मिला लें.

उसमें थोड़े से काले तिल और थोड़ा गुड़ भी मिला लें.

लाल पुष्प या कुमकुम भी जल में मिला लें. फिर पूर्व दिशा की ओर खड़े होकर भगवान सूर्य को निम्न मंत्रों से जल दें.

ऊं मित्राय नमः
ऊं रवये नमः
ऊं सूर्याय नमः
ऊं भानवे नमः
ऊं खगाय नमः
ऊं पूष्णे नमः
ऊं हिरण्यगर्भाय नमः
ऊं मरीचये नमः
ऊं आदित्याय नमः
ऊँ सवित्रे नमः
ऊं अर्काय नमः
ऊं भास्कराय नमः
ऊं श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नमः

यदि इन सभी मंत्रो का स्मरण नहीं कर पा रहे तो जितने स्मरण हों उतने मंत्रों का उच्चारण करते हुए जल दें. इसके बाद ऊं घृणि सूर्याय नमः का ग्यारह बार उच्चारण कर लें.

सूर्यदेव को जल अर्पित करने के बाद उनसे अपने मन की अभिलाषा रखें. भगवान सूर्य को जल देने के बाद आपको अपनी राशि के अऩुसार 5 मिनट की पूजा और करनी है फिर संकल्प लेकर या बिना संकल्प लिए दान करना है.

राशि अनुसार क्या पूजा करनी है यह मैं आगे बता रहा हूं. उस पूजा के उपरांत ही दान करें. यदि दान की सामग्री सुबह-सुबह सुलभ नहीं हो सकी है तो मन में संकल्प ले लें एवं बाद में भी दान कर सकते हैं. प्रयास करें कि संक्रांति तिथि बीतने से पहले ही संकल्प पूरा कर लें.

अागे पेज पर राशि अनुसार पूजा एवं दान

आगे पेज पर पढ़ें राशि अनुसार दान से पूर्व करनी है छोटी सी पूजा. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

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