virat swaroop
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ब्रह्माजी के कुल में एक बड़े ही धर्मात्मा और दानी राजा का जन्म हुआ. उनका नाम वसु था. वसु जहां से भी सम्भव हो ज्ञान इकट्ठा करते रहते थे इसलिये अपने ज्ञान और जानकारी के लिए भी बहुत प्रसिद्ध थे.

एक दिन वसु ब्रह्माजी से मिलने पहुंचे. ब्रह्माजी के भवन में देवों की सभा चल रही है. इतने में रैभ्य मुनि आ वहां गए. रैभ्य देवगुरू वृह्स्पति से मिलने आये थे. वसु उनके साथ वृहस्पति के घर चले गए.

रैभ्य ने वृहस्पति से पूछा- मेरी एक शंका का समाधान करें. क्या अज्ञानी को भी मोक्ष प्राप्त हो सकता है या बिना ज्ञान प्राप्त किए मोक्ष हो ही नहीं सकता? बृहस्पति हंसने लगे.

फिर बोले इस संदर्भ में ब्राह्मण और शिकारी की एक कथा सुनाता हूं. अत्रि कुल में जन्मे ब्राह्मण संयमन तथा नीच कर्म करने वाले बहेलिए निष्ठुरक की कथा आपका संदेह दूर करने में सहायता करेगी.

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