हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[sc:fb]
बूढा हर आने-जाने वालों को दूर से ही रास्ता बताने लगता. कीचड़ और गड्ढों से आगाह करता. जो व्यक्ति गलती से कीचड़ में फंस जाते उनके हाथ-पैर धुलाकर पास में बिठाता था. कोई भूखा-प्यासा हो तो यथासंभव खिलाता-पिलाता भी था.

बूढा यह क्यों करता है यह जानने की उत्सुकता में जय-विजय वहीं रुक गए. पता चला कि बूढा तो नेत्रहीन है. वह कदमों या वाहनों की आहट सुनकर रास्ता बताता है.

जय विजय ने पूरी रात वहीं बितायी. सुबह जब दोनों चलने को हुए तो देखा वह बूढा अपनी लगायी सब्जियों की क्यारियों की देखभाल में लगा है.

जय विजय ने पूछा- आप रात भर जागते रहे और सुबह उठकर इस काम में लग गए जबकि सुबह तो भगवान की पूजा और ध्यान के लिए होता है, आप वह नहीं करते क्या?

नेत्रहीन वृद्ध बोला- मुझे रात में लोगों को राह बताना, उन्हें ठोकर और कीचड़ से बचाना, उनकी सेवा करना अच्छा लगता है. उस आनंद के लिए कुछ धन तो चाहिए ही, वह मैं इन क्यारियों की सब्जी बेचकर कमा लेता हूं.

रात में अपना मनचाहा कामकर आनंद उठाना और दिन में उस काम के लिए मेहनत करना इसी को आप पूजा पाठ जो समझ लें इससे ज्यादा और कुछ मैं नहीं जानता.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here