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इससे पहले कि वह क्रोधित हों, ब्रह्माजी ऋद्धि-सिद्धि के साथ प्रकट हुए और गणेशजी से बोले- आपने स्वयं इन दोनों को शिक्षा दी. अब मुझे इनके लायक आपसे श्रेष्ठ वर दूसरा नहीं मिल रहा. आप इनसे विवाह कर लें.

इस तरह ऋद्धि(बुद्धि-विवेक की देवी) और सिद्धि(सफलता की देवी) से गणेशजी का विवाह हो गया जिनसे शुभ-लाभ नामक दो पुत्र हुए. इसीलिए विवाह कार्य में सबसे पहले गणेशजी के साथ ऋद्धि-सिद्धि का आह्वान कर उसे निर्विघ्न करने की प्रार्थना की जाती है.

संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली

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2 COMMENTS

    • आपके शुभ वचनों के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार.
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