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श्रीकृष्ण दौड़े और उसे धर दबोचा. अरिष्टासुर को न तो उठने का अवसर मिला न ही संभलने और पलटवार का. भगवान ने उसके दोनों सींग उखाड़ लिए और उसे सीगों से ही उस पर प्रहार करने लगे. अपने तेज सींगों के प्रहार से अरिष्टासुर के प्राण निकल गए.

अरिष्टासुर था तो राक्षस लेकिन उसने बैल का रूप धरा रखा था. श्रीकृष्ण ने गोवंश का वध कर दिया, मूर्खता में गोपियां ऐसा सोचने लगीं. वध के बाद प्रभु ने राधा को स्पर्श कर लिया.

राधाजी उनसे कहने लगी की आप कभी मुझे स्पर्श मत करना क्योंकि आपके सिर पर गोवंश हत्या का पाप है. आपके स्पर्श से मैं भी गौहत्या के पाप में भागीदार बन गई हूं. श्रीकृष्ण को राधाजी के भोलेपन पर हंसी आ गई.

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