हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[sc:fb]

विश्वावसु बोले- यहां देवताओं का प्रतिदिन आगमन होता है. वे अपने साथ विविध प्रकार के नैवेद्य, फल-फूल आदि लेकर आते हैं.  वे हमारे कुलदेवता की पूजा करने आते हैं. उनके पूजन में किसी तरह का विघ्न न हो इसके लिए उन्होंने चारों तरफ पहाड़ और वन बना दिए हैं.

कोई विघ्न न डाले इसके लिए वन में हिंसक जंतु हैं. इसी कारण तुम्हें इस क्षेत्र में अनुपम सुगंध, अनुपम फल-पुष्प प्राप्त होते हैं जो कहीं और नहीं होते. यक्ष आदि देवता के लिए गीत गाते हैं. उनके पूजन करने के जाने के उपरांत मैं पृथ्वीवासियों की ओर से उनकी पूजा करता हूं. उनकी कृपा से ही हम सभी प्रकार के संकटों से मुक्त हैं.

हमारे देवता की प्रतिमा ऐसी मनोहर है कि जो उसे देखता है देखता ही रह जाता है. एक रहस्यमयी प्रतिमा है जिसमें बहुत आकर्षण है. सबके लिए उसे देखना भी संभव नहीं. जो देख ले वही उसे अपने साथ लिए जाना चाहेगा.

jagannath-temple-puri.jpg

एक बार हमारे पूर्वजों को शंका हुई कि कहीं कोई हमारे देवता की प्रतिमा लेकर तो नहीं चला जाएगा. उ्न्होंने यह शंका स्वर्गलोक से आने वाले देवताओं के सामने रखी. देवताओं ने बताया कि कलिकाल में एक राजा इसे यहां से ले जाकर कहीं और प्रतिष्ठित कर देगा. कहीं देवता के प्रस्थान के साथ ही हमारा दुर्भाग्य न आ जाए इसीलिए किसी को भी दर्शन नहीं करने दिया जाता.

तुम बाहर से आए हो. इसलिए तुम्हें दर्शन से रोक रहा था. पर तुमने शपथ ली है तो मुझे थोड़ा भरोसा हुआ है. मैं तुम्हें दर्शन को लेकर तो जाउंगा पर अभी वह मार्ग नहीं बताउंगा. मेरे जीवनकाल तक पूजा का दायित्व मेरा है. मेरे उपरांत तुम पूजन करोगे. पुत्री की जिद के कारण मैं तुम्हें कल आँखों पर पट्टी बांधकर ले चलने को तैयार हूं.

[irp posts=”5853″ name=”शिवलिंग या शिव की मूर्ति, पूजा के लिए कौन है श्रेष्ठ?”]

विद्यापति के मन में अब कोई संदेह ही न रहा कि यह वही प्रतिमा है जिसे खोजने वह निकले हैं. उनका लक्ष्य पूरा होने को था. विद्यापति केवल दर्शन करने तो आए नहीं थे. उन्हें मूर्ति लेकर जानी थी. इसलिए उन्होंने एक चाल चली.

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here