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कई लोगों ने भगवान श्रीकृष्ण की पटरानी सत्यभामाजी की कथा की मांग की है. कुछ दिनों पहले स्यंतक मणि की कथा की भी दो लोगों ने मांग की थी. दोनों का एक दूसरे से संबंध है. इसलिए हम आज वह कथा दे रहे हैं. सत्यभामाजी की कई कथाएं हम आगे भी देंगे.
भारत से बाहर बसे प्रभु शरणम् के प्रेमियों ने भागवत से जुड़े एक प्रसंग के बारे में विस्तार पूछा है. भागवत कथा में मैंने बताया था कि संसार के समस्त जातियों का उदगम कश्यप मुनि व उनकी पत्नियों के गर्भ से हुआ माना जाता है. हमने वह बात भागवत के आधार पर कही थी.
देवों, दानवों, पशु पक्षियों आदि सबके जन्मदाता क्यों कश्यप और उनकी पत्नियों को बताया जाता है, आगे हम आपको विस्तार से कश्यप और उनकी संतानों के बारे में बताएंगे. अभी श्रीकृष्ण कथा का रस लीजिए.
सूर्यभक्त सत्राजित द्वारका के बड़े जमींदार थे. सूर्यदेव ने उन्हें स्यमंतक मणि भेंट की थी. उस मणि में सूर्य का तेज था और वह प्रतिदिन आठ भार सोना भी देती थी. इस धन से सत्राजित अभिमानी हो गए थे.वह श्रीकृष्ण से द्वेष रखते थे और प्रभु की बुराई का कोई मौका नहीं छोड़ते थे. सत्राजित की अत्यंत रूपवती और शस्त्रविद्याओं में कुशल बेटी सत्यभामा बचपन से श्रीकृष्ण से प्रेम करती थी जो देवी लक्ष्मी का अंशरूप थीं.
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