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ब्राह्मण हंस और उसके बच्चे आपके पास रखकर तीर्थ को गए. हंस आपके महल के तालाब में ही पलने लगे.
आपको एक दिन मांस खाने की तीव्र इच्छा हुई. आप उस समय अपने महल के बाग में घूम रहे थे. आपकी नजर हंसों पर पड़ गई. आपने सोचा सभी जीवों का मांस खाया है पर हंस का मांस आज तक नहीं खाया. इसका स्वाद आखिर कैसा होता होगा.
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आप इसी विषय पर सोचते रहे और हंस का मांस खाने की इच्छा तीव्र होती चली गई. यह इच्छा अब पराकाष्ठा पर पहुंच गई और आप खुद को रोक न पाए.
आपने हंस के दो बच्चे भूनकर खा लिए. उसका स्वाद आपकी जिह्वा को लग गया. हंस के एक-एक कर सौ बच्चे हुए. आप सबको खाते चले गए.अंततः हंस का जोड़ा संतानहीन होकर दुख में मर गया.
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