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वह बेहोश होकर गिर गया. उसका सारथी उसे युद्धभूमि से लेकर भागा. बेहोशी टूटने पर मदासुर समझ गया कि यह सर्वसमर्थ परमात्मा ही हैं. इनसे जीत पाना संभव न होगा.
उसने हाथ जोड़कर स्तुति करते हुए कहा- प्रभो ! आप मुझे क्षमाकर अपनी दृढभक्ति प्रदान करें. एकदन्त ने प्रसत्र होकर कहा कि जहां मेरी पूजा आराधना हो वहां तुम कभी मत जाना. आज से तुम पाताल में रहोगे.
देवताओं को उनका लोक वापस मिल गया था. उन्होंने भी प्रसत्र होकर एकदन्त की स्तुति की और फिर अपने लोक चले गए.
ऋणहर्ता गणेश मंत्रः
ऊं गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्
गणपति को शोडषोपचार पूजा(एप्प में देखें षोडषोपचार पूजा विधि) के बाद इसका जप आरंभ करना चाहिए. इस मंत्र के एक लाख जप करने से सिद्धि हो जाती है. ऋणहर्ता मंत्र से सिद्ध व्यक्ति को ऋणमुक्ति का मार्ग मिल जाता है.
इसके अलावा दरिद्रता का नाश होता है और साधक धनवान व ज्ञानवान बनता है. मंत्र जप के बाद ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ भी कर लेना चाहिए.
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