देवी गंगा के गर्भ से जन्म लेकर शापमुक्त हुए थे वसु. देवी गंगा ने शांतनु से जन्मे अपने सात पुत्रों को क्यों पानी में बहा दिया था? क्यों भीष्म जीवित रह गए.  देवी गंगा की यह सारी कथा महाभारत में आती है. गंगा दशहरा पर आनंद लीजिए देवी गंगा मां की कथा का.


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महाभारत में एक प्रसंग आता है कि देवी गंगा शांतनु से इस शर्त पर विवाह को सहमत होती हैं कि शांतनु कभी उनके किसी निर्णय पर प्रश्नचिह्न नहीं खड़े करेंगे. देवी गंगा ने सात पुत्रों को जन्म दिया और उन्हें जल में प्रवाहित कर दिया.

आठवें पुत्र को भी प्रवाहित करने जा रही थीं तो शांतनु ने रोक दिया. वही भीष्म हुए. क्यों किया था देवी गंगा ने ऐसा?

चौदह कोटि देवताओं की जो बात होती है उसमें आठ वसुओं को भी शामिल किया जाता है. इनको आहुति दिए बिना यज्ञ का आरंभ और समापन नहीं होता.  देवी गंगा जी के अपने पुत्रों के पानी में डूबो देने की कथा इन्ही वसुओं से जुड़ती है.

एक बार आप, ध्रुव, सोम, धर, अनिल, अनल, प्रत्यूष और प्रभाष आदि अष्ट वसु अपनी पत्नियों के साथ महर्षि वशिष्ठ के आश्रम के समीप घूम रहे थे. प्रभाष की पत्नी की नजर आश्रम में कामधेनु गाय पर पड़ी.

वह कामधेनु को देखकर ललच गईं. उन्होंने अपने पति से कहा कि आप स्वयं वसु हैं. ऐसी दिव्य गाय का किसी मुनि के पास क्या काम. मुझे यह गाय चाहिए. आपको चाहे चोरी ही क्यों न करनी पड़ें परंतु यह गाय लाकर दीजिए.

प्रभास ने अन्य वसुओं से बात की और अपनी पत्नी के हठ की बात बताई. प्रभाष की जिद पर सातों वसु चोरी के लिए राजी हो गए. सबने मिलकर वशिष्ठ के आश्रम से कामधेनु गाय चुरा ली.

महर्षि वशिष्ठ ने दिव्य दृष्टि से पता लगा लिया कि चोरी किसने की है. देवता वसुगण अब चोरी करने लगे हैं, इस बात से वशिष्ठ बड़े क्रोधित हुए.

वशिष्ठ ने वसुओं को शाप दिया कि वह वसु का पद त्यागकर मानव रूप में धरती पर चले जाएंगे. मनुष्य के रूप में पैदा होकर और मनुष्य के भाति कष्ट सहना पड़ेगा.

ॠषि का शाप सुनकर सभी वसु उनके पैरों में गिरकर माफी मांगने लगे. उन्होंने बताया कि प्रभास की पत्नी के दबाव में उन्हें चोरी करनी पड़ी.

ॠषि ने कहा कि शाप वापस नहीं हो सकता. चूंकि प्रभाष ने पत्नी के प्रेम में पड़कर सभी वसुओं को चोरी जैसे गंदे कार्य के लिए उकसाया है. इसलिए उसे ज्यादा दंड मिलेगा.

सात वसुओं के लिए वशिष्ठ ने कहा कि आप देवी गंगा के गर्भ से जन्म लेंगे. लेकिन जन्म लेने के तत्काल बाद देवी गंगा आपको जल में डुबाकर शाप से मुक्ति दिलाएंगी.

प्रभाष को पूरा शाप भोगना पड़ेगा. उसने पत्नी की इच्छा पूरी करने के लिए चोरी की है. इसलिए मनुष्य रूप में वह जन्म लेगा और पत्नी सुख से वंचित रहेगा.

वशिष्ठ प्रभाष पर अत्यंत क्रोधित थे. उन्होंने कहा कि प्रभाष का अपनी पत्नी से लंबा वियोग होगा इसलिए मानव रूप में जन्म लेने पर उसकी आयु बहुत लंबी होगी.

वह संसार में अनेक दुख भोगेगा और कोई स्त्री ही उसकी मृत्यु का कारण बनेगी. प्रभाष ने वशिष्ठ से बार-बार क्षमा मांगी तो उन्होंने थोड़ी दया दिखाते हुए कहा लंबी आयु तुम्हारे लिए शाप की जगह वरदान बनेगी.

श्रीविष्णु मानव अवतार लेंगे और वह तुम्हें प्रणाम करेंगे. तुम्हारी वीरता, त्याग और आयु के कारण मानव रूप में आने वाले सभी देवता तुम्हारी वंदना करेंगे.

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प्रभाष ही देवी गंगा और शांतनु के पुत्र देवव्रत हुए और जीवनभर ब्रह्मचर्य का पालन करने जैसे कठिन व्रत लेने के कारण उन्हें भीष्म नाम मिला. स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी वंदना की थी.  विधि का विधान बड़ा विचित्र है. भीष्म के जन्म की कथा आपने सुनी. अब आप देवी गंगा के धरती पर आने की कथा भी सुनना चाहेंगे. वह भी इतनी ही सुंदर है. देवी गंगा भी एक शाप के कारण पृथ्वी पर आई थीं.

और देवी गंगा को शाप किसने दिया इसको लेकर भी अलग-अलग पुराणों में अलग-अलग कथा आती है.

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(महाभारत के आदि पर्व की कथा)

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2 COMMENTS

  1. मुझे आपकी कथाऐ वहुत अच्छी व उपयोगी लगती है
    मुझे खुशी है कि मै आपसे जुडा
    धन्यवाद

    • आपके शुभ वचनों के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार.
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