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कोई घोर पापी भी कभी गयासुर के दर्शन कर लेता तो उसके पाप नष्ट हो जाते. यमराज उसे नर्क भेजने की तैयारी करते तो वह गयासुर के दर्शन के प्रभाव से स्वर्ग मांगने लगता. यमराज को हिसाब रखने में संकट हो गया था.

यमराज ने ब्रह्माजी से कहा कि अगर गयासुर को न रोका गया तो आपका वह विधान समाप्त हो जाएगा जिसमें आपने सभी को उसके कर्म के अनुसार फल भोगने की व्यवस्था दी है. पापी भी गयासुर के प्रभाव से स्वर्ग भोंगेगे.

ब्रह्मा ने उपाय निकाला. उन्होंने गयासुर से कहा कि तुम्हारा सबसे ज्यादा पवित्र है इसलिए तुम्हारी पीठ पर बैठकर मैं सभी देवताओं के साथ यज्ञ करुंगा.

उसकी पीठ पर यज्ञ होगा यह सुनकर गय सहर्ष तैयार हो गया. ब्रह्माजी सभी देवताओं के साथ पत्थर से गय को दबाकर बैठ गए. इतने भार के बावजूद भी वह अचल नहीं हुआ. वह घूमने-फिरने में फिर भी समर्थ था.

देवताओं को चिंता हुई. उन्होंने आपस में सलाह की कि इसे श्रीविष्णु ने वरदान दिया है इसलिए अगर स्वयं श्रीहरि भी देवताओं के साथ बैठ जाएं तो गयासुर अचल हो जाएगा. श्रीहरि भी उसके शरीर पर आ बैठे.

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