धार्मिक पोस्ट के लिए प्रभु शरणम् का फेसबुक पेज लाईक करें.
[sc:fb]
मैं घबरा गया लेकिन साहस बटोरकर एक बार फिर मैंने पुकारा। अब कोई फुंकार नहीं! शांत! एकदम शांत! मेरी हिम्मत बढ़ी! मैंने उसको प्रणाम किया।

“हे नागराज! आप क्रोधित न हों! हम बस आपके दर्शन करना चाहते हैं! इच्छाधारी स्वरुप में!” मैंने कहा। उसने फिर से फुंकार भरी, मेरी आँखें बंद हुईं।

“हे नागराज हम बस आपके दर्शन के अभिलाषी हैं!”

उस सांप ने कुंडली खोली और वो अलौकिक मणियाँ अपने मस्तक पर धारण करके अपना फन फैलाकर मेरे सामने आया। मैंने उसके शल्क देखे एकदम करीब से, दम साध लिया मैंने।

[irp posts=”5773″ name=”मांसाहारी हैं आप या शाकाहारी, पढें. जीवन में कभी न भूलेंगे ये कथा”]

सांस थम सी गयी। मेरे माथे पर उसने अपना फन रखा। मैं कांपा अब. लगा कुंडली में दबोच लेगा मुझे लेकिन नहीं वह मेरे कंधे से गुजरा। मेरी साँसे अटकी हुई थीं। उस पल मुझे मौत सामने दिख गयी।

सर्वश्रेष्ठ हिंदू ऐप्प प्रभु शरणम् को एक बार देखें जरूर.

Android ऐप्प के लिए यहां क्लिक करें


लिंक काम न करता हो तो प्लेस्टोर में सर्च करें-PRABHU SHARNAM

वो फिर से पलटा! और मेरे सामने आ गया। “हे नागराज! इच्छा पूर्ण करें!” मैंने डरते, सहमते कहा।

उसने फिर से कुंडली बनायी और फिर फुंकार भरी। उसके नेत्र दहक उठे मैं घबरा सा गया और हाथ जोड़कर घुटने के बल बैठ गया!

वह करीब आया, मेरे चेहरे के सामने पूरा फन फैलाया उसने। जैसे ही मेरे नेत्र से उसके नेत्र भिड़े मैं तो सिहर गया उसकी आँखें देखकर। गेंद जैसी बड़ी बड़ी आँखें और कोड़े जैसी दो फाड़ जीभ। जीभ लहराती तो लगता जैसे कोई काला चुटीला लहरा रहा है। उसकी श्वास मेरे चेहरे से टकरायी और मैं जैसे काठ का बन गया। हाथ कांपने लगे थे, सर से टपकता पसीना माथे से होता हुआ आँखों में जाने लगा। और धड़कन ऐसी, कि जैसे दिल पसलियों से मुक्त हो गया है।

“हे नागराज! अपने स्वरुप का दर्शन दें!” मैंने फिर से साहस बटोरकर कहा।

उसने फुंफकार मारी! और फिर एक ही पल में वो प्रकाश-पिंड में परिवर्तित हो गया। मेरी तो आँखें चुंधिया गयीं ढक ली आँखें मैंने अपने हाथों से। और फिर बेहद मुश्किल से खोलीं तो हैरत में पड़ गया। मेरे सामने कोई राजा समान व्यक्ति खड़ा था, उज्जवल रूप था उसका।

[irp posts=”6055″ name=”जीवन में एक बार गिरिराज गोवर्धन स्पर्श क्यों जरूरी है?”]

चौड़ा वक्ष, चौड़े ही कंधे और लम्बे लम्बे स्याह केश! पीछे कंधे से होते हुए पीठ तक जाते हुए। रौबदार ताव वाली मूंछें दमकता चेहरा। सुनहरे रंग की सुसज्जित वेश-भूषा। आभूषणयुक्त देह किसी पहलवान की तरह। और कद कोई आठ-नौ फीट। जैसे कोई देवता उतर आया था भूमि पर। अद्वितीय रूप था उसका। जो एक बार देख ले तो बस जड़ होकर देखता ही रह जाए।

समय अपनी गति भूल गया था! मुझे अचंभित देखकर नागराज मुस्कुराया! उसकी मुस्कुराहट भी कैसी दिव्य और कैसी आनंददायी थी!
जैसे अभय प्रदान कर रही हो। और फिर एक दिव्य स्वर गूंजा, जैसे वीणा बजी हो। जल-तरंग बज उठे हों आकाश में। कण कण में एक अलौकिक सुगंध फैल  गई! देवत्व भरा था उस सुगंध में!

सर्वश्रेष्ठ हिंदू ऐप्प प्रभु शरणम् को एक बार देखें जरूर.

Android ऐप्प के लिए यहां क्लिक करें


लिंक काम न करता हो तो प्लेस्टोर में सर्च करें-PRABHU SHARNAM

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here