इसके साथ नवार्ण मंत्र के प्रथम बीज ” ऐं “ से माता दुर्गा की प्रथम शक्ति माता शैलपुत्री की उपासना की जाती है जिसमें सूर्य ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है.

नवार्ण मंत्र के द्वितीय बीज ” ह्रीं “ से माता दुर्गा की द्वितीय शक्ति माता ब्रह्मचारिणी
की उपासना की जाती है जिसमें चन्द्र ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है.

नवार्ण मंत्र के तृतीय बीज ” क्लीं “ से माता दुर्गा की तृतीय शक्ति माता चंद्रघंटा की उपासना की जाती है, जिसमें मंगल ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है.

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नवार्ण मंत्र के चतुर्थ बीज ” चा “ से माता दुर्गा की चतुर्थ शक्ति माता कुष्मांडा की
उपासना की जाती है जिसमें बुध ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है.

नवार्ण मंत्र के पंचम बीज ” मुं “ से माता दुर्गा की पंचम शक्ति माँ स्कंदमाता की उपासना की जाती है, जिस में बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है.

नवार्ण मंत्र के षष्ठ बीज ” डा “ से माता दुर्गा की षष्ठ शक्ति माता कात्यायनी की उपासना की जाती है, जिसमें शुक्र ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है.

नवार्ण मंत्र के सप्तम बीज ” यै “ से माता दुर्गा की सप्तम शक्ति माता कालरात्रि की
उपासना की जाती है जिसमें शनि ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है.

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