और माँ लक्ष्मी एक गरीब औरत का रुप धारण करके , उस खेत के मालिक के घर गई, घर क्या एक झोपडा था, और मालिक का नाम माधव था, माधब की बीबी, दो बेटे ओर तीन बेटिया थी , सभी उस छोटे से खेत में काम करके किसी तरह से गुजारा करते थे।

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माँ लक्ष्मी जब एक साधारण और गरीब औरत बन कर माधव के झोपड़े पर गई तो माधव ने पूछा बहिन तुम कौन हो? और इस समय तुम्हें क्या चाहिये? तब मां लक्ष्मी ने कहा ,मैं एक गरीब औरत हूँ, मेरी देख- भाल करने वाला कोई नहीं, मैने कई दिनों से खाना भी नहीं खाया। मुझे कोई भी काम देदो, साथ में मैं तुम्हारे घर का काम भी कर दिया करुंगी, बस मुझे अपने घर के एक कोने में आसरा देदो?

माधव बहुत ही अच्छे दिल का मालिक था, उसे दया आ गई, लेकिन उस ने कहा, बहिन मैं तो बहुत ही गरीब हूँ, मेरी कमाई से मेरे घर का खर्च मुश्किल से चलता है, लेकिन अगर मेरी तीन की जगह चार बेटियां होती तो भी मैनें गुजारा करना था, अगर तुम मेरी बेटी बन कर जैसा रुखा – सूखा हम खाते है उस में खुश रह सकती हो तो बेटी अन्दर आ जाओ।

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