अब माँ लक्ष्मी मुस्कुराई और बोली हे माधव! तुम बहुत ही अच्छे और दयालु व्यक्त्ति हो, तुम ने मुझे अपनी बेटी की तरह से रखा, इस के बदले में मैं तुम्हें वरदान देती हूँ कि तुम्हारे पास कभी भी खुशियों की और धन की कमी नहीं रहेगी, तुम्हें सारे सुख मिलेंगें, जिस के तुम हकदार हो, और फिर माँ अपने स्वामी के द्वारा भेजे रथ में बैठ कर बैकुण्ठ चली गईं।

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