हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[fblike]

पांडव महादेव के दर्शन के लिए गुप्तकाशी की ओर बढ़े. महादेव ने उनकी परीक्षा लेने के लिए एक भैंसे का रूप धरा और विचरण करने लगे. पांडवों को आकाशवाणी हुई कि महादेव मंदाकिनी क्षेत्र में भैंसे के रूप में भ्रमण कर रहे हैं.

भगवान शिव जान गए कि पांडवों को उनके रूप का पता चल चुका है. वह भैंसे के रूप में ही भूमिगत होने के लिए दलदली धरती में धंसने लगे. प्रभु के दर्शन को भटक रहे भीम ने भैंसे रूपी भगवान शिव की पूंछ पकड़ ली.

पूंछ पकड़कर भीम समेत सभी पांडव भोलेनाथ श्री केदारेश्वर की स्तुति करने लगे. उनकी श्रद्धा-भक्ति और करुणापूर्ण स्तुति से भगवान शिव ने प्रसन्न होकर दर्शन दिए. महादेव के दर्शन से पांडवों के पाप मिटा और शांति मिली.

महादेव ने पाण्डवों से पूछा कि अपनी मनोकामना बताओ. पांडवों ने कहा कि आपके दर्शन के बाद किसी अन्य चीज की कोई अभिलाषा रही ही नहीं हैं. आपके इस रूप से हमारी पीड़ा का अंत हुए है. इसलिए आप भक्तों के कल्याण के लिए यहां विराजिए.

प्रसन्न होकर भोलेनाथ भैंसे की पीठ के रूप में सर्वदा के लिए वहीं स्थापित हो गए. पांडवों ने विधिपूर्वक उस ज्योतिर्लिंग की पूजा की. महादेव ने कहा इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से तुम्हारे सकल मनोरथ सिद्ध हो जाएंगें.

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here