हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[sc:mbo]

वह बोलीं, ‘ इतराने की जरूरत नहीं. अभी तो खेल शुरू ही हुआ है. बस देखती चलो.’

हरिनाथ को पता ही नहीं था कि वह दो देवियों के दाव-पेंच में फंसा हुआ है. गांव के करीब उसे चरवाहा मिला. उसने चवन्नी वापस करते हुए कहा, ‘मेरा लड़का आपकी डोलची से चवन्नी ले भागा था. मैं चवन्नी लौटाने आया हूँ.’

[irp posts=”6543″ name=”झाड़ू से करें ये प्रयोग, लक्ष्मी खुद चलकर आएंगी”]

पंडित खुश हो गया. वरना उसे बिना बात चवन्नी का दंड भरना पड़ता.

जिसकी चवन्नी थी वह लड़का अभी दूर नहीं गया था. पंडित ने उसे पुकारा और उसकी चवन्नी लौटा दी. हरिनाथ निश्चिंत मन से घर की ओर बढ़ने लगा. उसके एक हाथ में पूजा की डोलची थी और दूसरे में वही बांस.

आप प्रभु शरणम् से नहीं जुड़ें हैं? आप सच में कुछ मिस कर रहे हैं. एकबार देखिए तो सही, प्रभु शरणम् फ्री है. ट्राई करके देखिए.

Android ऐप्प के लिए यहां क्लिक करें

रास्ते में उसने सोचा कि बांस काफ़ी वज़नी और मजबूत है. इसे दरवाज़े के छप्पर में लगा दूँगा. कई साल के लिए बल्ली से छुटकारा मिल जाएगा.’ लक्ष्मीजी के प्रभाव से हरिनाथ को लाभ होता देख ज्येष्ठा जल उठीं. जब उन्होंने देखा कि पंडित का घर क़रीब आ गया है तो कोई उपाय न पाकर उन्होंने हरिनाथ को मार डालने का विचार किया.

[irp posts=”5670″ name=”क्या कहता है आपके शरीर का हर तिल.”]

ज्येष्ठा गुस्से में तमतमाती हुई बोलीं, ‘लक्ष्मी! धन−सम्पत्ति तो मैं छीन ही लेती हूँ, अब इस भक्त के प्राण भी ले लूँगी.’

ज्येष्ठा ने साँप का रूप धरा और हरिनाथ पर झपटीं. हरिनाथ सांप देखकर भागने लगा. सांप बनी ज्येष्ठा ने उसका पीछा नहीं छोड़ा.

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here