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मंदिर की पुजारी ने पूछा, “क्या लिखा है इसमें?”
“क्या लिखूं? आप ही बताइए? तंत्र मंत्र? जादू टोना? या फिर कल्लू डोम इस लड़की का रेप करने जा रहा था और बचाव के लिए इस लड़की ने हंसिया उठा लिया… कल्लू डर के मारे भागता रहा और मर गया ….”
“मौत की वजह?”, मैने पूछा
“दिल का दौरा….”
“और माई?”
“उसका कोई पता नहीं। अगर वह मर भी गई होगी तो पुलिस को उसकी लाश चाहिए। अब आप इस काग़ज़ पर साइन कर दें। मुझे और भी काम है।”, इंस्पेक्टर साहब बोले |
मेरे कपड़े, गहने और मोबाइल फ़ोन माई के घर में ही था। मंदिर की पुजारिन के ज़िद करने से मैं उनके साथ उसके घर तक गई, मेरे साथ गाँव के काफ़ी लोग भी थे | मैने एक एक करके अपना सारा सामान समेटा और निकल आई |
मुझे स्टेशन तक छोड़ने गाँव के लोगों के साथ पुजारी जी खुद अपनी पत्नी को ले कर आए थे | जाते जाते उन्होंने मुझे वह हँसिया थमाया और बोले, “बेटी, इस हँसिए को हमेशा अपने पास रखना…”
ट्रेन की सिटी बजी और मैंने दुबारा मां काली का स्मरण किया और निश्चय किया किया की हर साल दीवाली के मौके पर मैं माता काली के मंदिर में पूजा चढ़ाने धूमिया गाँव ज़रूर आउंगी |
दुष्टों की संहारक माता काली की जय
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