[sc:fb]

श्रीराम ने एक अत्यंत बूढे ब्राह्मण का वेश बनाया और देवी त्रिकुटा के पास पहुंचे. प्रभु उनके पास कुछ पल रूके पर त्रिकुटा उन्हें पहचान ही न सकीं.  भगवान ने उन्हें अवसर दिया पर उनकी लीला को देवी त्रिकुटा भांप न पाईं.

तब भगवान श्रीराम अपने असली रूप में आ गए.

[irp posts=”6614″ name=”तंत्र मंत्र जादू टोना से आपको बचाते हैं ये उपाय”]

उन्होंने त्रिकुटा से कहा- देवि मैं आपको दिए वचन के अनुसार आपके पास आया था परंतु आप इस परीक्षा में सफल न हो पाईं. वैसे भी इस जन्म में सीता से विवाह कर मैंने एक पत्नीव्रत का प्रण लिया है. इसलिए तुम्हारे साथ विवाह तो असंभव ही था.

देवी त्रिकुटा कुछ निराश हो गईं. भगवान ने उनकी मनोस्थिति समझ ली और मधुर वचन में बोले.

भगवान ने कहा- आपको निराश होने की आवश्यकता नहीं. आपका संकल्प पक्का है इसलिए मैं इसे खाली नहीं जाने दूंगा. इस युग में मैं व्रतधारी होने के कारण विवश हूं. कलियुग में मैं जब कल्कि के रूप में अवतार लूंगा तब मैं तुम्हें अपनी पत्नी रूप में अवश्य स्वीकार करुंगा. तब तक तुम हिमालय स्थित त्रिकूट पर्वत पर जाकर तप करो और मेरे अवतार की प्रतीक्षा करो.

करीब पांच लाख लोग रोज सुबह प्रभु शरणम् की सहायता से अपनी दैनिक पूजा करते हैं. ऐसा कई साल से लगातार हो रहा है. आप भी देखें.

Android ऐप्प के लिए यहां क्लिक करें


लिंक काम न करता हो तो प्लेस्टोर में सर्च करें-PRABHU SHARNAM

भगवान ने उन्हें वरदान देते हुए कहा- तुम भक्तों के कष्ट और दु:खों का नाश करते हुए इस संसार का कल्याण करती रहो. विष्णु का अंश होने, उनके कुल में अवतार होने तथा विष्णु पूजक होने के नाते सारा संसार तुम्हें माता वैष्णों देवी के रूप में पूजेगा. कलियुग में तुम्हारे लिए कुछ भी अदेय नहीं होगा. जो भी भक्त भक्तिभाव से तुम्हारी पूजा-अर्चना करेंगे उन्हें तुम सर्वस्व प्रदान करोगी.

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

5 COMMENTS

    • ऐसा नहीं कहा हमने… मां की लीला तो मां ही जानें…यह कथा एक प्रसिद्ध कथा है. जो मैंने अंत में लिखा भी है. भैरवनाथ की बात भी पोस्ट के अंत में है और आप जो प्रसंग कह रहे हैं उसका भी वर्णन आएगा..

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here