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गुरु मुस्कुराए- खाई में गिरते समय तुमने जिस बांस को पकड़ लिया था, वह पूरी तरह मुड़ गया था. फिर भी उसने तुम्हें सहारा दिया और जान बची ली.

संत ने बात आगे बढ़ाई- बांस ने तुम्हारे लिए जो संदेश दिया वह मैं तुम्हें दिखाता हूं. गुरू ने रास्ते में खड़े बांस के एक पौधे को खींचा औऱ फिर छोड़ दिया. बांस लचककर अपनी जगह पर वापस लौट गया. हमें बांस की इसी लचीलेपन की खूबी को अपनाना चाहिए. तेज हवाएं बांसों के झुरमुट को झकझोर कर उखाड़ने की कोशिश करती हैं लेकिन वह आगे-पीछे डोलता मजबूती से धरती में जमा रहता है.

बांस ने तुम्हारे लिए यही संदेश भेजा है कि जीवन में जब भी मुश्किल दौर आए तो थोड़ा झुककर विनम्र बन जाना लेकिन टूटना नहीं क्योंकि बुरा दौर निकलते ही पुन: अपनी स्थिति में दोबारा पहुंच सकते हो.

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शिष्य बड़े गौर से सुनता रहा.

गुरु ने आगे कहा- बांस न केवल हर तनाव को झेल जाता है बल्कि यह उस तनाव को अपनी शक्ति बना लेता है और दुगनी गति से ऊपर उठता है. बांस ने कहा कि तुम अपने जीवन में इसी तरह लचीले बने रहना. गुरू ने शिष्य को कहा- पुत्र पेड़-पौधों की भाषा मुझे भी नहीं आती. बेजुबान प्राणी हमें अपने आचरण से बहुत कुछ सिखाते हैं.

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जरा सोचिए कितनी बड़ी बात है. हमें सीखने के सबसे ज्यादा अवसर उनसे मिलते हैं जो अपने प्रवचन से नहीं बल्कि कर्म से हमें लाख टके की बात सिखाते हैं. हम नहीं पहचान पाते, तो यह कमी हमारी है.

ईश्वर विराट हैं, अथाह हैं. सोचें तो वह सारी सृष्टि में नहीं समा सकते और सोचें तो छोटे से हृदय में भी बस जाएंगे. यह सब उनकी इच्छा से है. आपके घर में कोई अतिथि आने वाला होता है तो आप क्या करते हैं? घर को सजाते-संवारते हैं न. उसे स्वच्छ करते हैं. प्रयास करते हैं कि आगंतुक को आते ही ऐसा लगे कि यही सबसे सुंदर स्थान है. यहां से तो जाने का विचार भी नहीं किया जा सकता.

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जो मन बहुत व्यग्र रहता है, वह अपवित्र रहता है. वहां कैसे विराजेंगे ईश्वर. अगर आपकी वर्षों की साधना से प्रसन्न होकर आ भी गए तो कितनी घड़ी ठहरेंगे? यदि वह ठहरे नहीं तो फिर सारी साधना का फल तो व्यर्थ गया न. मन के विकार को, कचरे को झाड़ू लगाने की क्रिया है मौनव्रत. मौन से मन का मैल निकलता है, शांति आती है. मन के अंदर में जो तूफान चलते रहते हैं उसे थामने के लिए मौन जरूरी है.

आप प्रतिदिन कुछ घंटे के लिए मौन साधना करके देखें, आपके व्यक्तित्व पर चमत्कारी असर दिखने लगेगा. मौन का अर्थ यह नहीं कि बस मुंह से उतनी देर नहीं बोलेगें लेकिन दिमाग की कसरत कई गुना ज्यादा बढ़ा देंगे. मौन का अर्थ है मन को कुछ देर के लिए विराम देना.

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-राजन प्रकाश

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