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देवी ने पूछा- जिस मंत्र में समस्त सृष्टि को आप समा देते हैं फिर तो उसे प्राप्त करना बहुत कठिन है. सामान्य लोगों के लिए तो वह असंभव होगा. फिर आपकी प्राप्ति वह कैसे करें.

महादेव ने कहा-देवी निःसंदेह इस मंत्र में सृष्टि की समस्त शक्तियों को आपके साथ मैं समाता हूं. इस मंत्र के जप से जुड़े विधानों का पालन करता हुआ जो योग्य गुरू के मार्गदर्शन में पूर्ण करता है वह इसे सिद्ध भी कर लेता है.

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शिवजी ने ओम नमः शिवाय पंचाक्षरी की सिद्धि से जुड़ी विधियां अंग न्यास, कर न्यास, देहन्यास और पुरश्चरण के साथ बड़े विस्तार से बताईं. यहां आपको संक्षिप्त रूप में कुछ काम की बातें प्रस्तुत कर रहा हूं. पूरी विधि-विधान के साथ जपकार्य तो गुरू के मार्गदर्शन में करना चाहिए. फिर भी कुछ ऐसी मोटी-मोटी बातें हैं जिनका आप सरलता से पालन कर सकते हैं. इससे आप अपने जप का ज्यादा फल प्राप्त कर सकते हैं.

पंचाक्षरी मंत्र ओम नमः शिवाय के जप से जुड़े विधानः

– घर में किए गए जब को सामान्य फल वाला जानना चाहिए.

– गोशाला में किया गया जब उससे सौ गुना फलदायक होता है.

– नदी के तट पर किया गया जप लाख गुना फलदायी होता है.

– शिव के सानिध्य में किया गया जप अनंत गुना फलदायक होता है.

– समुद्रतट पर, देव सरोवर में, पर्वत पर, देवालय में अथवा सभी पवित्र आश्रमों में किया गया जप करोड़ गुना फलदायक होता है.

-शिव की सन्निधि में सूर्य, गुरु, दीपक, गौ अथवा जल के समक्ष जपकर्म ही श्रेष्ठ माना जाता है.

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पार्वतीजी ने पूछा- उत्तम फल के इस प्रणव युक्त पंचाक्षर मंत्र ओम नमः शिवाय का जप कैसे करना चाहिए?

महादेव ने पार्वतीजी को जप से जुड़ी कुछ आवश्यक बातें बताईं.

– एक-एक करके अंगुली से जप की गणना करने पर वह सामान्य फल प्रदान करता है.

– रेखाओं की सहायता से जप करने पर वह आठ गुना फलदायक कहा गया है.

– उत्तर जीवफलों से जप करने पर 10 गुना फलदायी होता है.

– शंखमणियों से जप करने पर सौ गुना फल होता है.

– प्रवाल मूंगा से जप करने पर हजार गुना फल होता है.

– स्फटिक से जप करने पर दस हजार गुना फल होता है.

– मोतियों से करने पर लाख गुना फलदायक कहा जाता है.

– कमल के बीज से जप करने पर दस लाख गुना फल होता है.

– सोने के स्वर्ण खंडों से जप करने पर जप करोड़ गुना फलदायक कहा जाता है.

– कुशा की ग्रंथि तथा रुद्राक्षों से गणना करने पर जप अनंत गुना फलदायक होता है.

अर्थात रूद्राक्ष या कुशा ग्रंथि ही सर्वाधिक उत्तम है.

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यह सब जानने के बाद महादेवी ने पूछा कि इस जप के दौरान अन्य कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए? जप की माला, जपसंख्या, जप की दिशा और जप की विधि से जुड़े रहस्य क्या हैं?

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