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दुर्गास्वरूपा माता गौरी का ध्यान करें. उसके बाद इस मंत्र का जितना संभव हो पाठ करें-

पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्त अनुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भभवाम्।।

(हे गौरी! इच्छा के अनुसार चलने वाली मनोहर पत्नी प्रदान करें जो दुर्गम संसार सागर से तारने वाली तथा उत्तम कुल में उत्पन्न हुई हो.)
यह पाठ विवाह तक जारी रखना होगा. इसके अलावा शिवजी को प्रतिदिन जल चढ़ावें. उस जल में थोड़ी हल्दी मिला लें.

शिव मंदिर में जल चढ़ाने का विशेष लाभ है क्योंकि वहां देवी पार्वती का वास रहता है. लेकिन अगर मंदिर आस-पास में नहीं है तो शिवलिंग घर में स्थापित करके भी जल चढ़ा सकते हैं.

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