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उधर सहस्त्रानीक के मंत्री युगंधर के बेटा हुआ जिसका नाम योगांध्यारायण रखा गया. उसके बाद सेनापति सुप्रतीक के भी लड़का हुआ जिसका नाम रुक्मनवान हुआ. रानी मृगावती भी गर्भवती थी.

गर्भवती मृगावती के मन में अचानक एक दिन मनुष्य के खून में स्नान की इच्छा हुई. उसने राजा से कहा. राजा रानी को नाराज नहीं करना चाहता था इसलिए गाढे लाल रंग से एक तालाब को लाल कर दिया.

रानी खून का तालाब समझ उसमें नहाने लगी. उधर ऊपर उड़ रहा विशालकाय बाज रानी को मांस का टुकड़ा समझकर उसे उड़ा ले गया. राजा ने जब यह सारी कथा सुनी तो वह बेहोश हो गया.

राजा के सारथी ने बताया कि हो न हो यह सब तिलोत्तमा के दिये श्राप के कारण हुआ है. पक्षी ने रानी को ले जाकर उदयाचल पहाड़ पर छोड़ दिया. वहां सुस्त पड़ी रानी को एक अजगर निगलने आया.

लेकिन मौके पर एक सुंदर पुरुष ने आकर अजगर को मार डाला. रानी इन सब से इतनी दुखी हुई जान देने के लिये पागल हाथी के सामने खड़ी हो गई लेकिन हाथी ने भी उससे किनारा कर लिया.

रानी अपना यह दुर्भाग्य देख पति की याद में जोर-जोर से रोने लगी. वहीं कहीं फूल चुनने के लिये आये एक बालक ने उसे देख लिया. वह रानी को अपने गुरु जमदग्नि के आश्रम में ले गया. रानी जमदग्नि के आश्रम में रहने लगी.

समय आने पर रानी ने बेटे को जन्म दिया. आकाशवाणी हुई कि यह उदयन के नाम से प्रसिद्ध होगा और आगे चल कर विद्याधरों का राजा बनेगा. जमदग्नि ने उदयन को क्षत्रिय धर्म की पूरी शिक्षा दी.
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