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प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत होकर शुद्ध पात्र में जल भरें. संभव हो तो कुछ गंगाजल मिला दें. फिर शिवलिंग को अच्छे से धुलकर भोलेनाथ का ध्यान करके जल अर्पित करें. शिवजी के विभिन्न अभिषेक के वैदिक मंत्र हैं किंतु उन्हें वेदपाठी ब्राह्मणों से ही कराना चाहिए.
सबसे सरल विधि बताता हूं- शिव पंक्षाक्षर स्तोत्र अथवा रूद्राष्टकम का सस्वर उच्चारण करते हुए शिवजी को जल चढ़ा दें. यदि ये मंत्र याद नहीं हो पाते तो ऊं नमः शिवाय का उच्चारण करें. फिर कनेर, धतूरा, बेलपत्र आदि जो भी उपलब्ध हों वह भी अर्पित करें.
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