अब आप बिना इन्टरनेट के व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र , श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ तथा उपयोग कर सकते हैं.इसके लिए डाउनलोड करें प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प.
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
भागवत कथाओं में अभी श्रीकृष्ण की बाल लीला का प्रसंग चल रहा है. अभी तक हमने प्रभु द्वारा पूतना, तृणावर्त, वत्सासुर, नलकूबर-मणिग्रीव और बकासुर के उद्धार की चर्चा की. आज आपके लिए अघासुर उद्धार का प्रसंग लेकर आया हूं.
भगवान श्रीकृष्ण ग्वाल-बालों के साथ गाएं चराने को वन में कुछ सुबह ही निकल गए. वन में ही कलेऊ का कार्यक्रम बना. सभी सहर्ष तैयार हो गए. अपने-अपने पशु हांकते सभी वन के काफी भीतर प्रवेश कर गए.
पूतना और बकासुर का छोटा भाई अघासुर वन में मौके की ताक में बैठा था. उसके मन में भाई-बहन के संहार के प्रतिशोध की ज्वाला धधक रही थी. कंस ने भी उसे खूब उसकाया इसलिए वह श्रीकृष्ण के वध का अवसर देख रहा था.
अघासुर का शरीर इतना विशाल और स्वभाव इतना क्रूर था कि उससे ऋषि-मुनि और देवता भी भयभीत रहते थे. सभी उसकी मृत्यु के अवसर की प्रतीक्षा कर रहे थे. श्रीकृष्ण को मारने के लिए अघासुर ने अजगर का रूप धारण कर लिया.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.