हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[sc:mbo]

तब यमुनाजी बोलीं- जब भगवान अपने परमधाम को पधारे तब उद्धवजी भगवान की आज्ञा से बद्रिकाश्रम चले गए परन्तु व्रजभूमि को भी भगवान ने उद्धवजी को दे दिया था.

किन्तु वह फलभूमि यहां से भगवान के अन्तःर्धान होने के साथ ही लोगों की सांसारिक दृष्टि से परे जा चुकी है. इसलिए उद्धवजी यहां प्रत्यक्ष दिखायी नहीं देते. रानियों ने पूछा- ऐसा है तो फिर कैसे मिलेंगे हमें उद्धव जी?

यमुनाजी ने कहा- एक स्थान है जहां उद्धवजी का दर्शन हो सकता है. गोवर्धन पर्वत के निकट भगवान की लीला सहचरी गोपियों की विहार स्थली है वहां की लता अंकुर और बेलों के रूप में अवश्य ही उद्धव जी वहाँ निवास करते हैं.

लताओं के रूप में उनके वास करने का यही उद्देश्य है कि भगवान की प्रियतमा गोपियों की चरण रज उन पर पड़ती रहे. उद्धवजी के सम्बन्ध में एक बात निश्चित यह भी है कि उन्हें भगवान ने अपना उत्सव स्वरुप प्रदान किया है.

भगवान का उत्सव उद्धव जी का अंग है. इसलिए तुम सब व्रज में कुसुमसरोवर के पास ठहरो. भगवतभक्तों की मंडली एकत्र करके वाद्ययंत्र बजाकर भगवान की लीलाओं के भजन-कीर्तन करते उत्सव आरंभ करो.

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here