सोमवार को जो अमावस्या होती है वह सोमवती अमावस्या कहलाती है. चूंकि अमावस्या शिवजी और श्रीहरि की पूजा का दिन है इसलिए सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या विशेष होती है. सोमवती अमावस्या अनेक कष्ट हरने वाली मानी गई है.

सोमवती अमावस्या पर करें शिव-पार्वती पूजन

धार्मिक व प्रेरक कथाओं के लिए प्रभु शरणम् के फेसबुक पेज से जु़ड़े, लिंक-

[sc:fb]

प्रभु शरणं के पोस्ट की सूचना  WhatsApp से चाहते हैं तो अपने मोबाइल में हमारा नंबर  9871507036 Prabhu Sharnam के नाम से SAVE कर लें. फिर SEND लिखकर हमें इसी पर WhatsApp कर दें. जल्दी ही आपको हर पोस्ट की सूचना  WhatsApp से मिलने लगेगी. यदि नंबर सेव नहीं करेंगे तो तकनीकि कारणों से पोस्ट नहीं पहुँच सकेंगे.

 

 

सोमवती अमावस्या को भीष्म ने तो व्रतराज तक कहा है. स्त्रियों को अखंड़ सौभाग्य प्रदान करने वाला व्रत बताया जाता है. सोमवती अमावस्या को किए गए कुछ उपायों का हमेशा लाभ मिलता है. किसी घर में यदि पितृदोष बाधा ज्यादा है तो उनके लिए सभी अमावस्या बड़े राहत लेकर आती है. सोमवती अमावस्या तो पितृदोष शांति के लिए विशेष लाभदायक कही गई है. पितृदोष शांति के लिए अमावस्या को क्या सरल उपाय करने चाहिए इसके बारे में भी पोस्ट के आखिर में बताएंगे.

इस पोस्ट में आपको क्या जानने को मिलेगाः

  • सोमवती अमावस्या व्रत की कथा, पूजन विधि
  • दरिद्रता, जीवन के छोटे-छोटे कष्टों को दूर करने वाले उपाय जो सोमवती अमावस्या को करें.
  • सोमवती अमावस्या को किए जाने वाले छोटे-छोटे दान जिनका फल बहुत बड़ा होता है.
  • पितृदोष शांति के उपाय

सोमवार भगवान शिवजी का दिन माना जाता है और सोमवती अमावस्या तो पूर्णरूपेण शिवजी को समर्पित होती है. इस दिन यदि गंगाजी जाना संभव न हो तो प्रात: किसी नदी या सरोवर आदि में स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और तुलसी की भक्तिपूर्वक पूजा करें. सोमवती अमावस्या को शिवलिंग पर संभव हो तो रुद्राभिषेक करें. शिव मंदिर में सवा किलो चावल का दान करें तो ग्रह दोष की शांति होती है.

[irp posts=”7083″ name=”कर्ज, गृहक्लेश, मानसिक पीड़ा से शांति दिलाएंगे ये शिवमंत्र”]

जीवन करें आसान सोमवती अमावस्या पर इन 10 में से कोई भी कामः

–जो मनुष्य व्यवसाय में परेशानियों से जूझ रहे हों उन्हें सोमवती अमावस्या के दिन पीपल वृक्ष के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाकर और ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए. इससे व्यवसाय में आ रही समस्या रुकावटें दूर होती हैं.

–सोमवती अमावस्या पर अपने पितरों के निमित्त पीपल का वृक्ष लगाने से सुख-सौभाग्य, संतान, पुत्र, धन की प्राप्ति होती है. समस्त पारिवारिक कष्ट समाप्त हो जाते हैं.

–इस दिन पवित्र नदियों में श्राद्ध करने से पितरों की आत्माओं को शांति मिलती है. पवित्र नदियों, प्रयाग आदि तीर्थों में स्नान, ब्राह्मण भोजन, गौदान, अन्नदान, वस्त्र, स्वर्ण आदि दान का बहुत महत्व माना गया है. यदि तीर्थों पर नहीं जा पाते तो जल में किसी तीर्थ का जल मिलाकर स्नान कर लें. फिर जो भी दान मन में सोचा हो वह किसी जरूरतमंद को कर दें.

–सोमवार भगवान शिव का दिन है. सोमवती अमावस्या तो पूर्णरूपेण शिवजी को समर्पित होती है. भगवान शिव की कृपा पाने के लिए सोमवती अमावस्या को शिवजी का अभिषेक करना चाहिए.

–शिवलिंग पर बेलपत्र, कच्चा दूध, मेवे, फल, मीठा, जनेऊ आदि चढ़ाकर ॐ नम: शिवाय मंत्र का यथासंभव जप करना चाहिए.

–सोमवती अमावस्या की सुबह नित्यकर्मों से निवृत्त होकर किसी भी शिवमंदिर में जाकर सवा किलो चावल अर्पित करते हुए भगवान शिव का पूजन करें. पूजन पश्चात यह चावल किसी ब्राह्मण अथवा जरूरतमंद व्यक्ति को दान करें. शास्त्रों के अनुसार सोमवती अमवस्या पर शिवलिंग पर चावल चढ़ाकर दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है, लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है.

–सोमवती अमावस्या को उगते हुए भगवान सूर्य को गायत्री मंत्र उच्चारण करते हुए अर्घ्य देने से दरिद्रता नहीं आ सकती. इस सोमवती अमावस्या को एवं हर अमावस्या को यह प्रयोग करते रहें आपको दीर्घकालीन लाभ होगा.

–सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी की श्रीहरि-श्री हरि कहते हुए या ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का उच्चारण करते हुए परिक्रमा करें. तुलसी नहीं हैं तो पीपल के पेड की ॐ नमो नारायणाय जाप करते हुए परिक्रमा करें. इससे जीवन में आ रहे आर्थिक संकट समाप्त होते जाते हैं.

–जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर है, वे यदि गाय को दही और चावल खिलाएं तो उन्हें अवश्य ही मानसिक शांति प्राप्त होगी.

–अमावस्या को मौन भी रखना चाहिए. यदि पूरा मौन संभव नहीं तो कम से कम वार्तालाप करें. मंत्र जाप, सिद्धि साधना करते रहें. इससे पुण्य प्राप्ति और भगवान का आशीर्वाद मिलता है.

–सोमवती अमावस्या को धोबी,धोबन को भोजन कराने, सम्मान देने, दान दक्षिणा देने, उसके बच्चों को कापी किताबें, फल, मिठाई, खिलौने आदि देना चाहिए. इससे व्यक्ति के सभी मनोरथ अवश्य ही पूर्ण होते हैं. यदि बच्चों का मन पढ़ाई आदि से भटक रहा है तो उन्हें लाभ होता है.

–सोमवती अमावस्या को ब्राह्मण, भांजा और ननद को फल, मिठाई या शृंगार की सामग्री का दान करना उत्तम फल प्रदान करता है.⁠⁠⁠⁠

[irp posts=”6945″ name=”ऐसे करेंगे शिवलिंग की पूजा तो शीघ्र रीझ जाएंगे शिवजी”]

सोमवती अमावस्या व्रत कथाः

जब युद्ध के मैदान में सारे कौरव वंश का सर्वनाश हो गया, भीष्म पितामह शर-शैय्या पर पड़े हुए थे. उस समय युधिष्ठर भीष्म पितामह से पश्चाताप करने लगे.

धर्मराज कहने लगे- हे पितामह! दुर्योधन की बुरी सलाह पर एवं हठ से भीम और अर्जुन के कोप से सारे कुरू वंश का नाश हो गया है. वंश का नाश देखकर मेरे हृदय में दिन रात संताप रहता है. अब आप ही बताइए कि मैं क्या करूं, कहां जाऊं जिससे हमें शीघ्र ही चिरंजीवी संतति प्राप्त हो.

पितामह कहने लगे- हे! धर्मराज मैं तुम्हें व्रतों में शिरोमणि व्रत बतलाता हूं जिसके करने एवं स्नान करने मात्र से चिरंजीवी संतान एवं मोक्ष की प्राप्ति होगी. सोमवती अमावस्या का व्रत तुम उत्तरा से अवश्य कराओ जिससे उसका पुत्र तीनों लोकों में यश फैलाने वाला होगा.

धर्मराज ने कहा- पितामह इस व्रतराज के बारे में विस्तार से बताइए. इसका नाम सोमवती क्यों है और इसे सबसे पहले किसने किया था?

भीष्म बोले- कांची नाम की महापुरी है, वहां महापराक्रमी रत्नसेन नाम का राजा राज्य करता था. उसके राज्य में देवस्वामी नामक ब्राह्मण निवास करता था. देवस्वामी के सात पुत्र एवं गुणवती नाम की कन्या थी. एक दिन ब्राह्मण भिक्षुक भिक्षा मांगने आया.

[irp posts=”7305″ name=”किस मनोकामना के लिए पूजें कौन सा कृष्ण स्वरूप”]

देवस्वामी की सातों बहुओं ने अलग-अलग भिक्षा दी और सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद पाया. अंत में गुणवती ने भिक्षा दी. भिक्षुक ब्राह्मण ने उसे धर्मवती होने का आर्शीवाद दिया और कहा- यह कन्या विवाह के समय सप्तपदी के बीच ही विधवा हो जायेगी इसलिए इसे धर्माचरण ही करना चाहिए.

गुणवती की माँ धनवती ने गिड़गिड़ाते दीन स्वर में कहा- हे ब्राह्मण! हमारी पुत्री के वैधव्य मिटाने का उपाय कहिए. उनकी विनती से साधु दयालु हो गए.

उन्होंने ध्यान लगाया और अपनी अंतर्दृष्टि से पता करके बताया- पड़ोस के गांव में सोना नाम की एक धोबन अपने बेटे और बहू के साथ रहती है. सोना बहुत ही आचार-विचार और संस्कार संपन्न पतिपरायण स्त्री है.

यदि यह कन्या अपनी सेवा से सोना को प्रसन्न कर ले और सोना धोबिन इसके विवाह में आए और अपनी मांग का सिन्दूर इसे लगा दे तो उसके बाद इस कन्या का विवाह करो तो इसका वैधव्य दोष मिट सकता है.

साधू ने यह भी बताया कि सोना कहीं आती जाती नहीं है. उसे प्रसन्न करने का तुम्हें बहुत प्रयास करना होगा. ब्राह्मणी ने जब सुना कि धोबिन की सेवा से वेटी का वैध्वय दोष मिट जाएगा तो उसे तुरंत अपने पुत्र के साथ सोना की खोज में भेज दिया.

देवस्वामी के सबसे छोटे पुत्र शिवस्वामी अपनी बहिन को साथ लेकर सिंघल द्वीप को गया. वे दोनों समुद्र के तट पर पहुँचकर समुद्र पार करने का उपाय सोचने लगे लेकिन उन्हें कोई उपाय नहीं सूझ रहा था. थक-हार कर दोनों भाई-बहिन भूखे-प्यासे एक वट-वृक्ष की छाया में उदास होकर बैठे गए.

उस वृक्ष के तने की एक खोह में गिद्ध के बच्चे रहते थे. वे दिनभर इन दोनों को परेशान होते हुए देख रह थे. शाम को बच्चों की माँ उनके लिए कुछ आहार लेकर आई और उन्हें खिलाने लगी लेकिन गिद्ध के बच्चों ने कुछ नहीं खाया.

[irp posts=”6932″ name=”सपने में शिव जी दिख जाएं तो क्या अर्थ लगाएं?”]

गिद्ध के बच्चों ने अपनी माँ से कहा-इस वृक्ष के नीचे आज सुबह से ही दो भूखे-प्यासे प्राणी बैठे हैं. जब तक वे नहीं खाएंगे, हम लोग भी नहीं खाएंगे.

बच्चों की बात सुनकर उनकी माँ गिद्धनी को दया आई गई. उसने दोनों भाई-बहन को देखा और उनके पास जाकर कहा-आपकी इच्छा मैंने जान ली है. आप लोग भोजन करें. कल प्रातः मैं आप लोगों को समुद्र पार सोमा के घर पहुँचा दूँगी.

गिद्धनी की बात सुनकर उन दोनों भाई-बहिन की चिंता कम हुई, दोनों को अत्यंत प्रसन्नता हुई. उन्होंने गिद्धनी को प्रणाम कर भोजन किया. प्रातः होते-होते गिद्धनी ने उन्हें सिंहल द्वीप में सोमा के गांव पहुंचा दिया.

भाई बहन खोजते-खोजते सोना के घर पहुंचे. उन्होंने पड़ोस में ही एक झोपड़ी बना ली और वहीं रहने लगे. गुणवती तडके ही उठकर सोना धोबिन के घर जाकर सफाई और अन्य सारे काम करके अपने घर वापस आ जाती.

इस तरह एक वर्ष बीत गए. एक दिन सोना धोबिन ने अपनी बहु की प्रशंसा करते हुए कहा- आजकल तुम तडके ही उठकर सारे काम कर लेती है और पता भी नहीं चलता. बहु आश्चर्य में थी.

बहु ने कहा- मांजी मैंने तो सोचा कि आप ही सुबह उठकर सारे काम ख़ुद ही ख़त्म कर लेती हैं. मैं तो देर से उठती हूं.

दोनों सास-बहु उलझन में थीं कि आखिर कौन रोज इनके घर का सारा काम निपटा जाता है. रात को सास-बहु दोनों निगरानी में बैठे. धोबिन ने देखा कि एक एक कन्या मुंह अंधेरे घर में आती है और सारे काम चुपचाप निपटाने के बाद चली जाती है. दोनों ने सोचा शायद कोई शापित दिव्य स्त्री हो.

[irp posts=”7182″ name=”सपना कब पूरा, कब अधूरा? अच्छा या बुरा सपना आए तो करें ये उपाय”]

हिम्मत करके एक दिन वह कन्या काम करके जाने को हुई तो सोना ने रोक लिया और पूछा- आप कौन है और इस तरह छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं?

कन्या ने साधु द्वारा कही गई सारी बात बता दी. सोना धोबिन ने जब यह सुना था उसे बहुत दया आई. वह पतिपरायण तेजस्वी स्त्री थी. उसने कन्या की सहायता के लिए हामी भर दी.

सोना ने कन्या और उसके भाई को कहा कि जाकर विवाह के आयोजन की तैयारी करो. अमावस्या के दिन उन्होंने विवाह का मूहूर्त रखा. सोना के पति अस्वस्थ थे.

जब ब्राह्मण के घर विवाह की तैयारी पूरी हो गई तो सोना जाने को तैयार हुई. उसने बहू से कहा कि जब तक मैं लौटकर नहीं आती, घर में रहो. यदि कोई अपशकुन भी हो जाए तो मेरी प्रतीक्षा करना.

सोना धोबिन ने जैसे ही अपने मांग का सिन्दूर कन्या की मांग में लगाया, उसके पति का देहांत हो गया. सोना को इस बात का पता चल गया लेकिन उसने शादी निर्विघ्न संपन्न कराके ही विदाई ली.

वह यह सोचकर ही बिना जल पीए चली थी कि कहीं रास्ते में पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसे भंवरी देकर और उसकी परिक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी.

उस दिन सोमवती अमावस्या थी. ब्राह्मण के घर से मिले पूए-पकवान की जगह उसने ईंट के टुकडों से 108 बार भंवरी देकर 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की और फिर जल ग्रहण किया.

ऐसा करते ही उसके पति के मुर्दा शरीर में कम्पन होने लगा. उसकी बहु अपने ससुर को फिर से जिंदा देखकर बड़ी प्रसन्न हुई और सास की महिमा सबको बताई.

[irp posts=”6481″ name=”छिपकली के शरीर पर गिरने का क्या अर्थ लगाएं”]

पीपल के पेड़ में सभी देवों का वास होता है. अत:, सोमवती अमावस्या के दिन से शुरू करके जो व्यक्ति हर अमावस्या के दिन भंवरी देता है, उसके सुख और सौभाग्य में वृध्दि होती है.

मान्यता है कि जो स्त्री प्रत्येक अमावस्या को ऐसा नहीं कर पाती, वह भी सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या के दिन 108 वस्तुओं की भंवरी देने के बाद गौरी-गणेश की पूजा करके सोना धोबिन की यह कथा सुनती और दूसरों को सुनाती है, उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

सोमवती अमावस्या को अत्यंत पुण्य तिथि माना जाता है.

सोमवती अमावस्या को पितृदोष, कालसर्प दोष, शत्रुबाधा, धन प्राप्ति, व्यापार में लाभ आदि के लिए छोटे-छोटे और बड़े सरल उपाय कहे गए हैं. इन्हें भी आजमाना चाहिए. इन उपायों के विषय में जानना है तो नीचे पोस्ट पढ़ें. पोस्ट का लिंक इस लाइन के नीचे है-

[irp posts=”7326″ name=”अमावस्या के छोटे-छोटे उपाय से किस्मत चमकाएं”]

आपको यह पोस्ट कैसी लगी, अपने विचार लिखिएगा. प्रभु शरणम् ऐप्प में ऐसे उपयोगी पोस्ट बहुत मिल जाएंगे. छोटा सा ऐप्प है. करीब पांच लाख लोग उसका प्रयोग करके प्रसन्न हैं. आप भी ट्राई करके देखिए. अच्छा न लगे तो डिलिट कर दीजिएगा.

हिंदू धर्म से जुड़ी शास्त्र आधारित ज्ञान के लिए प्रभु शरणम् से जुड़ें. सर्वश्रेष्ठ हिंदू ऐप्प प्रभु शरणम् फ्री है. तकनीक के प्रयोग से सनातन धर्म के अनमोल ज्ञान को प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से इसे बनाया गया है. आप इसका लाभ लें. स्वयं भी जुड़े और सभी को जुड़ने के लिए प्रेरित करें. धर्म का प्रचार सबसे बड़ा धर्मकार्य है
Android मोबाइल ऐप्प डाउनलोड करने के लिए यहां पर क्लिक करें

प्रभु शरणं के पोस्ट की सूचना WhatsApp से चाहते हैं तो अपने मोबाइल में हमारा नंबर 9871507036 Prabhu Sharnam के नाम से SAVE कर लें। फिर SEND लिखकर हमें उस नंबर पर WhatsApp कर दें. जल्दी ही आपको हर पोस्ट की सूचना WhatsApp से मिलने लगेगी. यदि नंबर सेव नहीं करेंगे तो तकनीकि कारणों से पोस्ट नहीं पहुँच सकेंगे.

[irp posts=”6670″ name=”ऐसे उतारें नजर, नजर दोष से बचाते हैं ये सरल उपाय”]

धार्मिक अभियान प्रभु शरणम् के बारे में दो शब्दः 

सनातन धर्म के गूढ़ रहस्य, हिंदूग्रथों की महिमा कथाओं ,उन कथाओं के पीछे के ज्ञान-विज्ञान से हर हिंदू को परिचित कराने के लिए प्रभु शरणम् मिशन कृतसंकल्प है. देव डराते नहीं. धर्म डरने की चीज नहीं हृदय से ग्रहण करने के लिए है. तकनीक से सहारे सनातन धर्म के ज्ञान के देश-विदेश के हर कोने में प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से प्रभु शरणम् मिशन की शुरुआत की गई थी. इससे देश-दुनिया के कई लाख लोग जुड़े और लाभ उठा रहे हैं. आप स्वयं परखकर देखें. आइए साथ-साथ चलें; प्रभु शरणम्!

[irp posts=”6556″ name=”लाल मिर्च के अचूक टोटके, हर लेंगे आपके अनेक संकट”]

इस लाइऩ के नीचे फेसबुक पेज का लिंक है. इसे लाइक कर लें ताकि आपको पोस्ट मिलती रहे. धार्मिक व प्रेरक कथाओं के लिए प्रभु शरणम् के फेसबुक पेज से जु़ड़े, लिंक-

हम ऐसी कहानियां देते रहते हैं. Facebook Page Like करने से ये कहानियां आप तक हमेशा पहुंचती रहेंगी और आपका आशीर्वाद भी हमें प्राप्त होगा: Please Like Prabhu Sharnam Facebook Page

धार्मिक चर्चा करने व भाग लेने के लिए कृपया प्रभु शरणम् Facebook Group Join करिए: Please Join Prabhu Sharnam Facebook Group

 

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here