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इधर हरिदास की पत्नी भक्तिमाला ने द्रौणिशिष्य वामन नामक एक विप्र को देखा. यह ब्राह्मण युवक ध्वनि या आवाज सुनकर लक्ष्य पर तीर मारने में यानी शब्दभेदी बाण चलाने की विद्या में कुशल एवं भांति भांति के हथियारों का जानकार था.

भक्तिमाला ने उसकी विद्या का प्रदर्शन देखा तो दातों तले उंगली दबा ली. उसके अविश्वसनीय कौशल से प्रभावित होकर उसने अपनी कन्या के लिए उसको वर चुन लिया.

एक समय ऐसा आया कि महादेवी के पिता, पुत्र तथा माता द्वारा उसके लिए अलग-अलग चुने गए तीनों गुणवान, विद्वान और कुशल ब्राह्मण महादेवी को प्राप्त करने के लिए हरिदास के यहां आ धमके.

महादेवी के लिए तीन उम्मीदवारों के एक साथ प्रकट हो जाने से स्थिति बड़ी विचित्र हो गयी. पर उससे अधिक विषम स्थिति तो तब पैदा हुई जब इसी बीच एक राक्षस अपनी माया से महादेवी का हरण कर उसे कहीं लेकर चला गया.

राक्षस द्वारा महादेवी के अपहरण से दुःखी ये तीनों विवाह के इच्छुक रोने लगे. सबसे पहले उन तीनों में से एक, गुरुपुत्र धीमान से पूछा गया कि राक्षस कन्या को कहां ले गया है तो उसने अपनी विद्या का प्रयोग कर बताया कि वह कन्या को विन्ध्य पर्वत ले गया है.

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