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भोलेनाथ ने शनिदेव को ग्रहों के बीच दंडाधिकारी यानी जज बनाया है. जज तो निर्णय कर्मों के आधार पर ही करेगा. हां इतना जरूर है कि अपने अच्छे बर्ताव से जज को प्रसन्न किया जा सकता है ताकि गलत कर्मों का दंड अधिक न मिले.

शनिदेव 14 साल की आयु से पहले किसी पर आते नहीं. वह मनुष्य के कर्मों का हिसाब उसी जन्म में करते हैं. सात साल के लिए जब वह आते हैं तो आपके समस्त कर्मों का बही-खाता खोलते हैं और उसके अनुरूप फल देते हैं.

कितनी व्यावहारिक व्यवस्था है यह. शनि आते समय और जाते समय दोनों ही स्थितियों में आपके लिए काफी अच्छे संयोग पैदा करते हैं. यह एक संकेत है कि अपने कर्मों को सही रखना. मैं जब पुनः आउंगा तो तुम्हारे कर्मों का फल दूंगा.

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