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नारदजी बोले- हे राजन अब मैं कार्तिक व्रतों का संक्षेप में उद्यापन सुनाता हूं. व्रत पूरा होने के फल और भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को उद्यापन करें.
तुलसी के ऊपर चार द्वारों का मंडप बनाकर, तोरन, बंदनवार बांधकर, फूलों को चमर से सजाएं. चारों द्वारों पर भगवान विष्णु के चारों द्वारपालों पुण्यशील, सुशील, जय और विजय की मिट्टी से बनी प्रतिमा स्थापित करके पूजन करें.
तुलसी के पास चार रंगों का सुशोभित सर्वतोभद्र चक्र बनाएं. इसके ऊपर पंचरत्न और एक नारियल रखकर कलश स्थापित करें. फिर वहां शंख, चक्र, गदाधारी पीतांबर से युक्त लक्ष्मी सहित विष्णु भगवान की स्थापना करके पूजन करें.
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