[sc:fb]

राजा ने मुस्करा कर मंदोदरी की बात सुनी और भारी दान दहेज के साथ उस राजकुमार के साथ मंदोदरी को ब्याह कर विदा कर दिया. सुंदरी मंदोदरी के साथ उस नरेश ने खूब आनंद किया. पर उसका चरित्र ठीक न था. एक दिन मंदोदरी ने अपने पति को किसी के साथ दुराचार करते हुये अपनी आंखों से देख लिया.

मंदोदरी ने सोचा मुझसे कामवश भूल हो गयी. मोह में मैंने कितना बड़ा अनर्थ कर ड़ाला. इस धूर्त ने मुझे ठग लिया. अब क्या करूं इस ताकतवर नरेश का मैं क्या बिगाड़ सकती हूं. रानी हूं, कहीं भाग भी नहीं सकती. पिता के पास लौटूं तो सहेलियों में मजाक बनेगा. आत्महत्या करना कठिन है. मन मसोस कर सारे दुःख झेलते हुए अच्छे दिनों के इंतज़ार में यहीं दिन काटने पड़ेंगे.

महिषासुर कहता रहा, तो इस तरह मंदोदरी का हर क्षण नरक हो गया. इसलिये हे सुंदरी तुम भी अपने लिये सबसे उत्तम इस वर को अपमानित कर ठुकराने और फिर कामातुर हो किसी और को अपनाने जैसी गलती मत करो कि मंदोदरी की तरह पीछे पछताना पड़े. तुम मेरी बात मान लो और अब मेरी हो जाओ.

अब मां जगदंबा ने कहा, मूर्ख, मैं अरूपा और अजन्मा हूं. जब जब देवताओं की रक्षा करनी होती है उनकी प्रार्थना पर मैं रूप धारण करती हूं. मेरी बात ध्यान से सुन, तुझे मारने के लिये ही मैं प्रकट हुई हूं. अब अगले ही क्षण या तो तू पाताल भाग जा या फिर युद्ध के लिये तैयार हो जा….. और महिषासुर ने अपना धनुष उठा लिया.

आप सभी Maa Durga Laxmi Sharnam एप्पस जरूर डाउनलोड कर लें. नवरात्रों में माता की आराधना में आपको बहुत सहायता मिलेगी. प्ले स्टोर से डाउनलोड कर लें या यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करें. विनती है कि कृपया एप्प की रेटिंग जरूर कर दें.

हम ऐसी कहानियां देते रहते हैं. Facebook Page Like करने से ये कहानियां आप तक हमेशा पहुंचती रहेंगी और आपका आशीर्वाद भी हमें प्राप्त होगा: Please Like Prabhu Sharnam Facebook Page

धार्मिक चर्चा करने व भाग लेने के लिए कृपया प्रभु शरणम् Facebook Group Join करिए: Please Join Prabhu Sharnam Facebook Group

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here