भाद्रपद शुक्लपक्ष की चतुर्दशी अनंत चतुर्दशी कहलाती है. इस दिन भगवान अनंत के रूप में श्रीविष्णु की पूजा की जाती है. अनंत चतुर्दशी पूजन के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं देखा जाता. यह पूरा दिन ही शुभ होता है. अनंत चतुर्दशी पूजा प्रायः दोपहर में की जाती है. इस वर्ष 1 सितंबर 2020, मंगलवार को अनंत चतुर्दशी पूजन होगा.

शास्त्रों में अनंत चतुर्दशी व्रत को किसी पवित्र नदी या सरोवरतट पर करने का विधान है. भगवान नारायण के अनंत स्वरूप के प्रति पूरी श्रद्धा दिखाते हुए उनका ध्यान किया जाता है. भाव यह होता है कि भगवान अनंत रूप धारण करके शयन मुद्रा में भी सभी जीवों में वास कर रहे हैं. उन सभी रूपों में उनकी वंदना करता हूं.

अनंत चतुर्दशी को भगवान अनंत की पूजा

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अनंत चतुर्दशी पूजन विधिः

–अनंत चतुर्दशी पूजन के लिए वैसे तो पवित्र नदीतट या जलाशय ही श्रेष्ठ कहा गया है क्योंकि नार यानी जल में शेषशय्या पर विराजमान भगवान नारायण का ध्यान किया जाता है.

— यदि नदीतट या जलाशय के किनारे पूजन संभव न हो तो अनंत चतुर्दशी के दिन घर के पूजास्थल की सफाई कर लें.

— जल से भरा एक कलश स्थापित करें.

— कलश पर शेषशायी भगवान्‌ विष्णु की प्रतिमा रखें या कलश के समीप भगवान का चित्र ही रख लें.

— कलश पर अष्टदल कमल के समान बने बर्तन में कुश से निर्मित भगवान अनंत की स्थापना की जाती है. निम्नमंत्र से आह्वान कर भगवान अनंत पूजा का संकल्प लें.

“मम् अखिल पापक्षयपूर्वक शुभफल वृद्धये,
श्रीमद् अनन्त प्रीतिकामनया अनन्तव्रतम् अहं करिष्ये।”

( हिंदी अर्थः अपने समस्त पापो के नाश और शुभफलों में वृद्धि की कामना के साथ श्री भगवान अनंत को प्रसन्न करने के लिए यह पूजन कर रहा हूं/रही हूं. )

— कलश पर या उसके पास चौदह गांठ वाला अनन्त सूत्र जो कच्चे सूत का डोरा होता है उसे रखें.

— इसके बाद ‘ॐ अनन्ताय नमः’ मंत्र से भगवान विष्णु सहित अनन्त सूत्र का षोडशोपचार पूर्वक गंध, अक्षत, धूप दीप, नैवेद्ध आदि से पूजन करें.

— षोडषोपचार पूजन का अर्थ है सोलह प्रकार की भगवान की सेवा. यह बहुत सरल है.  इसमें भगवान को प्रतिष्ठित करना, उन्हें जल, आसन, स्नान, वस्त्र, प्रसाद, आदि के बड़े सरल और छोटे-छोटे मंत्र होते हैं. साल में एक बार यह पूजा करते हैं तो विधिवत ही कर लें. मुश्किल से पांच मिनट लगेंगे. मंत्रों के साथ पूरी विधि प्रभु शरणम् ऐप्पस के पूजन विधि सेक्शन में देखें. हिंदी संस्कृत दोनों में बताया गया है. PRABHU SHARNAM ऐप्प प्लेस्टोर से सर्च करके डाउनलोड कर सकते हैं या इस लिंक से कर सकते हैं-

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— उसके बाद “पुरुष सूक्त” या “विष्णु सहस्त्रनाम” या विष्णु वंदना ( प्रभु शरणम् ऐप्पस में विष्णु शरणम् सेक्शन देखें) का पाठ भी कर सकें तो जरूर कर लें.

— भगवान को मीठे व्यंजनों का ही भोग लगाया जाता है जिसमें खीर का विशेष महत्व है.

— पूजा संपन्न होने के बाद प्रसाद ग्रहण कर लें.

— इस दिन नमकयुक्त आहार का सेवन न करें.

— भगवान अनंत पूजा के बाद पूजित अनन्त सूत्र को निम्न मन्त्र पढ़ते हुए पुरुषों को दाहिनी भुजा में और स्त्रियों को बाईं भुजा में बांध लेना चाहिए.

अनन्त संसार महासमुद्रे मग्नान्‌ समभ्युद्धर वासुदेव।
अनन्तरूपे विनियोजितात्मा ह्यनन्तरुपाय नमो नमस्ते॥

(अनंत सागर में विद्यमान होकर संसार का कल्याण करने वाले हे भगवान वासुदेव आपके अनंत रूप हैं. आप अनंत रूप में सभी प्राणियों में निवास करते हैं. मैं आपके अनंत रूप का ध्यान करके उसकी वंदना करता हूं. )

— अनन्त सूत्र बांधने के बाद परिवारजनों के साथ इस व्रत की कथा सुननी चाहिए.

— उसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराकर स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करना चाहिए. इस तरह से अनंत पूजा करने से उसका पूर्ण फल प्राप्त होता है.

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