krishan kaliya
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भगवान् श्रीकृष्ण वृन्दावन में लीलाएं करते पतितों का उद्धार और ग्वाल बालों का मनोरंजन करते रहे. एक दिन सखा संग यमुना के तट पर गए. उस दिन किसी कारणवश बलरामजी साथ नहीं थे.

धूप के कारण सभी गर्मी से बेहाल थे. प्यास से कण्ठ सुखने लगा. सामने युमनाजी बह रही थीं. ग्वाल बालों और पशुओं ने यमुनाजी का जल पी लिया. प्यास इतनी तेज थी कि उन्हें ध्यान ही नहीं रहा कि नंदबाबा ने इसका जल पीने से मना किया है.

वास्तव में युमनाजी में कालिया नामक एक विषधर रहता था जिसने सारा जल विषैला कर दिया था. इस कारण गौएं और ग्वाले प्राणहीन होकर यमुना तट पर पड़े थे. भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अपनी दृष्टि से पुनःजीवित कर दिया.

सबको चेतना लौटी थी तो भूल का अहसास हुआ. भगवान युमनाजी के तट पर लीलाएं कर रहे थे लेकिन कभी उनका जल नहीं पीते थे, यमुनाजी के लिए तो यह पीड़ा असह्य थी. वह उद्धार की प्रतीक्षा कर रही थीं.

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