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श्रीहरि ने कहा- देवी इस बात को अच्छी प्रकार से समझने के लिए आपको गीता के रहस्य समझने होंगे.

  • गीता के समस्त अध्याय मेरे उस शरीर के अंग हैं जिसकी आप सेवा करती हैं.
  • गीता के आरंभ के पांच अध्यायों को मेरे पांच मुख जानें.
  • छठे से पंद्रहवें अध्याय को मेरी दस भुजाएं समझिए.
  • सोलहवां अध्याय तो मेरा उदर है जहां क्षुधा शांत होती है.
  • अंतिम के दो अध्यायों को मेरे चरण कमल समझिए.

भगवान ने गीता के अध्यायों की इस प्रकार व्याख्या कर दी लक्ष्मीजी की उलझन घटने की बजाय और बढ़ने लगी. भगवान ने भांप लिया कि देवी के मन में क्या चल रहा है.

श्रीहरि ने पुनः कहा-देवी जो व्यक्ति गीता के एक भी अध्याय अथवा एक श्लोक का भी प्रतिदिन पाठ करता है वह सुशर्मा की तरह सभी पापों से मुक्त हो जाता है.

अब तो देवी लक्ष्मी और उलझ गईं.

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उन्होंने संयत भाव में अपनी अधीरता व्यक्त करते हुए- हे नाथ यह आपकी क्या लीला है. एक के बाद एक आप पहेलियां ही कहते जा रहे हैं. कृपया आप मेरी जिज्ञासा शांत करें.

भगवान पुनः मुस्कुराने लगे और उन्होंने लक्ष्मीदेवी को सुशर्मा की कथा सुनानी शुरू की.

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3 COMMENTS

  1. जय श्री राम, बहुत ही पुण्य का काम कर रहे है, सनातन धर्म को समझने के लिए और कलयुग के रोग की शान्ति के लिए हरि कथा से उतम औसधि और क्या है

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