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वह सत्राजित और उनके वैभव की प्रशंसा किया करते थे. इससे सत्राजित को लगता था कि श्रीकृष्ण की नजर उसकी स्यंतक मणि पर है.

एकबार सत्राजित के भाई प्रसेनजित स्यंतक मणि को धारणकर शिकार खेलने गए. वहां एक शेर उन्हें मारकर खा गया लेकिन मणि उसके गले में ही फंस गई.

रीक्षराज जामवंत ने सिंह को मारकर मणि छीन ली और अपने पुत्र को दे दिया. प्रसेन और मणि के गायब होने से सत्राजित ने श्रीकृष्ण पर स्यमंतक चोरी का आरोप लगा दिया.
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