नवरात्रि मां जगदंबा की आराधना का सबसे पावन मुहूर्त होता है. माता की कृपा प्राप्त करने के लिए नवरात्र में खास व्रत-पूजन होता है. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा और आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नौ दिनों की नवरात्रि पूजा होती है. चैत्र मास की नवरात्रि पूजा को चैत्र नवरात्रि और आश्विन मास की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है.
इस पोस्ट में आपको नवरात्रि पूजा 2019 के कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त, नवरात्रि पूजा की संक्षिप्त विधि, मंत्र, जप आदि की संपूर्ण जानकारी दी जा रही है जो नवरात्रि में आपके लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगी. आज से लेकर अगले नौ दिनों तक हम आपको रोज नवरात्रि से जुड़ी ऐसी उपयोगी जानकारियां देते रहेंगे जिन्हें आप जानना चाहेंगे और जो आपको हमेशा काम आएंगी. प्रभु शरणम् से जुड़े रहें.
दुर्गा सप्तशती, माता के संपूर्ण मंत्रों और नवरात्रि पूजा से जुड़ी हर जानकारी आप तक बहुत सरलता से पहुंचेगी यदि आप प्ले स्टोर से Prabhu Sharnam App डाउनलोड कर लें. इस पोस्ट में नीचे ऐप्प का लिंक भी दिया गया है.
धार्मिक व प्रेरक कथाओं के लिए प्रभु शरणम् के फेसबुक पेज से जु़ड़े, लिंक-
कलश स्थापना का मुहूर्तः
इस बार शारदीय नवरात्र 29 सितंबर से शुरू होकर 08 अक्टूबर यानी दशहरा तक रहेंगे. दुर्गा अष्टमी 06 अक्टूबर को, नवमी 7 अक्टूबर और दशहरा 08 अक्टूबर को मनाया जाएगा.
नवरात्रि में सभी समय माता की आराधना के लिए शुभ माना जाता है. फिर मां कुछ समयों का वर्गीकरण कर दिया जाता है. प्रथमा तिथि यानी 29 सितंबर को सुबह 7 बजकर 48 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 17 मिनट तक शुभ है. इसके अलावा 13.47 से लेकर 15.16 तक भी कलश स्थापना का उत्तम समय है. जो इस दौरान भी नहीं कर पा रहे वे कोशिश करें कि शाम को 18.15 से लेकर रात्रि 8 बजे से पहले कर लें.
नवरात्रि तिथियां
- प्रथम नवरात्रि 29 सितम्बर 2019, दिन रविवार
- द्वितीय नवरात्रि, 30 सितम्बर 2019, दिन सोमवार.
- तृतीया नवरात्रि, 1 अक्तूबर 2019, दिन मंगलवार.
- चतुर्थी नवरात्रि, 2 अक्तूबर 2019, बुधवार.
- पंचमी नवरात्रि , 3 अक्तूबर 2019, बृहस्पतिवार.
- षष्ठी नवरात्रि, 4 अक्तूबर 2019, शुक्रवार.
- सप्तमी नवरात्रि, 5 अक्तूबर 2019, शनिवार.
- अष्टमी नवरात्रि , 6 अक्तूबर 2019, रविवार
- नवमी नवरात्रि , 7 अक्तूबर 2019, सोमवार
- दशमी तिथि, दशहरा , 8 अक्तूबर 2019, मंगलवार.
नवरात्रि पूजा की संक्षेप में विधि इस प्रकार समझेंः
- -चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करें.
- -घर के ही किसी पवित्र स्थान पर स्वच्छ मिट्टी से वेदी बनाएं.
- -वेदी में जौ और गेहूं दोनों को मिलाकर बोएं.
- -वेदी पर या उसके पास किसी पवित्र स्थान पर पृथ्वी का पूजन करें फिर उस पर कलश स्थापना अभिजीत मुहूर्त में करें.
- -कलश में आम पल्लव, दूर्वा, पंचामृत डालकर उसके मुंह पर लाल कपड़ा बांध दें.
- -कलश के मुख पर रक्षा सूत्र बांधना चाहिए.
- -कलश में सुपारी, द्रव्य यानी सिक्के डालकर आम या अशोक के पत्ते रखने चाहिए फिर कलश के मुख को ढक्कन से ढंक देना चाहिए.
- -ढक्कन पर चावल भर देना चाहिए
- -उस पर एक नारियल को चुनरी या लाल वस्त्र या मौली लपेटकर रक्षा सूत्र से बांध देना चाहिए.
- -नारियल को कलश के ढक्कन पर रखते हुए सभी देवताओं का आवाहन करना चाहिए.
- -दीप जलाकर कलश की पूजा करनी चाहिए.
- -कलश पर फूल और मिठाइयां चढ़ाएं.
- -कलश स्थापना के बाद गणेशजी का आह्वान करें. इसकी विधि एप्प के पूजन सेक्शन में बताई गई है.
- -वेदी के किनारे पर देवी की प्रतिमा या चित्र विधि-विधान से विराजमान करें.
- -मूर्ति को आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्पांजलि, नमस्कार, प्रार्थना आदि से पूजन करें.
इसकी विधि प्रभु शरणम् ऐप्प के दैनिक व्रत-पूजा सेक्शन में बताई गई है. - -अब कलश को वेदी पर स्थापित कर सकते हैं.
- -इसके पश्चात श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ करें. पाठ करने के बाद देवी की आरती करके प्रसाद वितरित करें.
- -देवी की पूजा में कन्या पूजन का बड़ा महत्व है.
- -पहले किसी कन्या को भोजन कराएं, फिर स्वयं फलाहार ग्रहण करें.
- -प्रतिपदा के दिन घर के ही समीप नौ धान्य बोने का भी विधान है.
- -नवमी के दिन इन्हीं नौधान्यों की प्रसादी सिर पर रखकर प्रवाहित जल में विसर्जित करना चाहिए.
- -अष्टमी तथा नवमी महातिथि मानी जाती हैं. इन दिनों हवन कर ब्राह्माणों को दान देकर भोजन कराना चाहिए. फिर स्वयं भोजन करें.
-
करीब पांच लाख लोग हर सुबह प्रभु शरणम् ऐप्प जरूर खोलते हैं. बताते हुए गर्व होता है,कई वर्षों से लाखों लोगों की दैनिक पूजा प्रभु शरणम् से होती है. इस स्नेह,विश्वास के लिए कोटि-कोटि आभार. एक बार लिंक क्लिक कर आप भी जानें, क्यों लाखों लोगों को इतना प्रिय है प्रभु शरणम्…
Android ऐप्प के लिए यहां क्लिक करें
लिंक काम न करता हो तो प्लेस्टोर में सर्च करें-PRABHU SHARNAM
कलश स्थापना करने वाले साधकों को रखनी होती हैं कुछ विशेष सावधानियां.
नवरात्रि पूजा, व्रत और कलश स्थापना करने वाले साधकों के लिए सावधानियां
- जो भी साधक नवरात्रि का व्रत करते हैं, वे निम्न बातों का ध्यान रखें-
- -व्रती को नवरात्रों में काम, क्रोध, मोह, लोभ आदि दुष्प्रवृतियों के त्याग का संकल्प लेकर जमीन पर सोना चाहिए.
- -फलाहार करें और पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करे.
- -फलाहार में नारियल, नींबू, अनार, केला, मौसमी फल और कटहल आदि का प्रयोग करना चाहिए.
- -देवी का आह्वान, पूजन, विसर्जन, पाठ आदि सब प्रात:काल में शुभ होते हैं, अत: इन्हें इसी दौरान पूरा करना चाहिए.
- -यदि घट स्थापना करने के बाद सूतक हो जाए तो कोई दोष नहीं होता लेकिन अगर पहले सूतक हो जाएं तो पूजा आदि न करें.
- -जो लोग नौ दिन व्रत नहीं रख पाते वे प्रथमा व अष्टमी या नवमी को रखते हैं.
- -यदि प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर पाते तो कम से कम देवी कवच, कीलकम्, अर्घलास्तोत्रम् का पाठ कर लेना चाहिए.
- -यदि आप श्रीदुर्गासप्तशती पाठ के पाठ का समय नहीं निकाल पा रहे तो सिद्धकुंजिका स्तोत्रम् का पाठ कर लेना चाहिए. वह बहुत बड़ा नहीं है.
- – एक और वैकल्पिक पूजा है- सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ करना.
- – श्रीदुर्गासप्तशती के सात सौ श्लोकों के स्थान पर ऋषियों ने सात श्लोकों का भी प्रावधान बताया है जिनमें सप्तश्लोकी का पूरा माहात्म्य है.
- -कम से कम एक माला प्रतिदिन देवी का नार्वाण मंत्र ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे का जप अवश्य करना चाहिए.
- -स्तुति के उपरांत माता से अपराध के लिए क्षमा प्रार्थना अवश्य कर लें. माता की कृपा आप पर बनी रहे.
हम ऐसी कथाएँ देते रहते हैं. फेसबुक पेज लाइक करने से ये कहानियां आप तक हमेशा पहुंचती रहेंगी और आपका आशीर्वाद भी हमें प्राप्त होगा. https://www.facebook.com/PrabhuSharanam कथा पसंद आने पर हमारे फेसबुक पोस्ट से यह कथा जरुर शेयर करें.धार्मिक चर्चा में भाग लेने के लिए हमारा फेसबुक ग्रुप ज्वाइन करें. https://www.facebook.com/groups/prabhusharnam