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जो मनुष्य इस लोक में माता पिता, ब्राहमण और वेद का विरोध करता है, उसे यमदूत कालसूत्र् नरक में ले जाते हैं. इस नरक की भूमि ताँबे की है जो ऊपर सूर्य और नीचे से अग्नि के दाह से जलती रहती है.

जो प्राणी चोरी या बल से आपत्ति काल न होने पर भी दूसरों का धन लूटता है उसे मरने पर यमदूत संदंश नामक नर्क में गर्म लोहे से दागते हैं, संडासी से उसकी खाल नोचते हैं.

पृथ्वीलोक में यदि कोई पुरूष अगम्या स्त्री के साथ सम्भोग करता है या कोई स्त्री अगम्या पुरूष से व्याभिचार करती है तो यमदूत उसे तपतसूर्मि नामक नर्क में ले जाकर कोड़ों से पीटते है.

जो पुरूष पशु आदि के साथ व्याभिचार करता है उसे यमदूत वज्र के समान कठोर कांटों वाले सेमर के वृक्ष पर घसीटकर उसकी खाल उतारते हैं.

जो श्रेष्ठ कुल में जन्म पाकर भी धर्म की मर्यादा भंग करते हैं, वे मल, मूत्र्, पीब, रक्त, आदि गंदी चीजों से भरी वैतरणी में धकेल दिए जाते हैं. वहां उन्हें जल के जीव नोच-नोकर खाते हैं.

जो पाखण्डी यज्ञों में पशुओं का वध करते हैं, उन्हें परलोक में वैशस विशसनद्ध नरक में डालकर वहां के अधिकारी बहुत पीड़ा देकर काटते हैं.

जो किसी की जलाकर या विष देकर हत्या करते हैं, किसी मजबूर की संपत्ति छल-बल से हड़पते हैं, मरने के बाद उन्हें सारमेयादन नर्क में नुकीले दातों वाले सात सौ बीस यमदूत बड़े वेग से काटने लगते हैं.
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