राधाजी और श्रीकृष्ण का प्रेम अलौकिक था. Radha Krishna के प्रेम को सांसारिक दृष्टि से देखेंगे तो समझ ही नहीं पाएंगे. इसे समझने को तो पहले आपको राधा और कृष्ण दोनों से स्वयं प्रेम करना होगा.

Radha Krishna-love-story-seo.jpg
Radha Krishna love story

श्रीकृष्ण का हृदय तो व्रज में ही रहता था परंतु उनकी बहुत सी लीलाएं शेष थीं. इसलिए उन्हें द्वारका जाना पड़ा. श्रीकृष्ण को द्वारका जाना पड़ा. गए तो थे यह कहकर कि कुछ ही दिनों में वापस ब्रजलोक आएंगे, पर द्वारका के राजकाज में ऐसे उलझे कि मौका ही नहीं मिल पाया. Radha Krishna दूर-दूर थे.

गोपाल अब राजा बन गए थे. स्वाभाविक है कि राजकाज के लिए समय देना ही पड़ता. स्वयं भगवान ही जिन्हें राजा के रूप में मिल गए हों उनकी प्रसन्नता की कोई सीमा होगी. द्वारकावासी दिनभर उन्हें घेरे रहते. जो एकबार दर्शन कर लेता वह तो जाने का नाम नहीं लेता. बार-बार आता. प्रभु मना कैसे करें और क्यों करें?

[irp posts=”4453″ name=”अंधे धृतराष्ट्र ने क्यों गंवाए सौ पुत्र”]

ब्रज से दूर श्रीकृष्ण हमेशा अकेलापन महसूस करते. उन्हें गोकुल और व्रज हमेशा याद आता. जिस भी व्रजवासी के मन में अपने लल्ला से मिलने की तीव्र इच्छा होती श्रीकृष्ण उसे स्वप्न में दर्शन दे देते. स्वप्न में आते तो उलाहना मिलती, इतने दिनों से क्यों नहीं आए. यही सिलसिला था. भक्त और भगवान वैसे तो दूर-दूर थे. फिर भी स्वप्न में ही दर्शन हों जाएं, तो ऐसे भाग्य को कोई कैसे न सराहे.

श्रीकृष्ण से विरह से सबसे ज्यादा व्याकुल तो राधाजी थीं. राधा और कृष्ण मिलकर राधेकृष्ण होते थे पर दोनों भौतिक रूप से दूर थे.

एक दिन की बात है. राधाजी सखियों संग कहीं बैठी थीं. अचानक एक सखी की नजर राधाजी के पैर पर चली गई. पैर में एक घाव से खून बह रहा था.

राधा जी कै पैर में चोट लगी है, घाव से खून बह रहा है. सभी चिंतित हो गए कि उन्हें यह चोट लगी कैसे. लगी भी तो किसी को पता क्यों न चला.

सबने राधा जी से पूछा कि यह चोट कैसे लगी? राधाजी ने बात टालनी चाहा. अब यह तो इंसानी प्रवृति है आप जिस बात को जितना टालेंगे, लोग उसे उतना ही पूछेंगे.

[irp posts=”6055″ name=”जीवन में एक बार गिरिराज गोवर्धन स्पर्श क्यों जरूरी है?”]

राधा जी ने कहा- एक पुराना घाव है. वैसे कोई खास बात है नहीं. चिंता न करो सूख जाएगा.

Radha Krishna-Gopis-in-Braj-seo.jpg
Radha Krishna with Gopis in Braj

सखी ने पलटकर पूछ दिया- पुराना कैसे मानूं? इससे तो खून बह रहा है. यदि पुराना है, तो अब तक सूखा क्यों नहीं? यह घाव कैसे लगा, कब लगा? क्या उपचार कर रही हो? जख्म नहीं भर रहा कहीं कोई दूसरा रोग न हो जाए!

एक के बाद एक राधाजी से सखियों ने प्रश्नों की झड़ी लगा दी. उन्हें क्या पता, जिन राधाजी की कृपा से सबके घाव भरते हैं, उन्हें भयंकर रोग भला क्या होगा!

राधाजी समझ गईं कि अगर उत्तर नहीं दिया तो यह प्रश्न प्रतिदिन होगा. इसलिए कुछ न कुछ कहके पीछा छुड़ा लिया जाए, उसी में भला है.

[irp posts=”4386″ name=”समस्या निदान करने वाला अचूक मंत्र”]

राधा जी बोलीं- एक दिन मैंने खेल-खेल में कन्हैया की बांसुरी छीन ली. वह अपनी बांसुरी लेने मेरे पीछे दौड़े. बांसुरी की छीना-झपटी में अचानक उनके पैर का नाखून मेरे पांव में लग गया. यह घाव उसी चोट से बना है.

सर्वश्रेष्ठ हिंदू ऐप्प प्रभु शरणम् को एक बार देखें जरूर.

Android ऐप्प के लिए यहां क्लिक करें


लिंक काम न करता हो तो प्लेस्टोर में सर्च करें-PRABHU SHARNAM

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

2 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here